प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
दिवाली का त्योहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस साल दिवाली पंचांग भेद के कारण 31 अक्तूबर व 1 नवंबर को मनाई जाएगी।
हालांकि ज्यादातर जगहों पर दिवाली 31 अक्तूबर को ही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के अमावस्या तिथि को भगवान राम चौदह वर्ष का वनवास काटकर और लंकापति रावण का वध करके माता सीता व भाई लक्ष्मण समेत अयोध्या वापस लौटे थे।
अयोध्यावासियों ने पूरे नगर में दीये जलाकर खुशियां मनाई थीं। मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी भी प्रकट हुई थीं। दिवाली पर मां लक्ष्मी, भगवान गणेश व कुबेर जी की पूजा की जाती है। जानें यहां दिवाली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त, गणेश-लक्ष्मी पूजा विधि, मंत्र, आरती व सबकुछ-
अमावस्या तिथि कब से कब तक- अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर को सुबह 06 बजकर 22 मिनट पर प्रारंभ होगी और 01 नवंबर को सुबह 08 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी।
दिवाली पूजा पूजन मुहूर्त 2024- दिवाली का पूजन प्रदोष काल और वृषभ लगन में करना अत्यंत शुभ माना गया है। वृषभ लगन 31 अक्तूबर को सुबह 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजे तक रहेगा।
प्रदोष काल शाम 06 बजकर 10 मिनट से रात 08 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि प्रदोष काल में मां लक्ष्मी का पूजन करने से महालक्ष्मी का घर पर स्थाई वास होता है।
लक्ष्मी पूजन का प्रदोष काल स्थिर लग्न-मां लक्ष्मी को स्थिर करने के लिए स्थिर लग्न में पूजा की जाती है। स्थिर लग्न शाम 06 बजकर 12 मिनट से रात 08 बजे तक रहेगा। स्थिर लग्न की कुल अवधि 01 घंटा 50 मिनट की है।
दिवाली पर बन रहे ये शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:48 ए एम से 05:40 ए एम
प्रातः सन्ध्या – 05:14 ए एम से 06:32 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:41 ए एम से 12:26 पी एम
विजय मुहूर्त- 01:54 पी एम से 02:39 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:36 पी एम से 06:01 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:36 पी एम से 06:53 पी एम
अमृत काल- 05:32 पी एम से 07:20 पी एम
लक्ष्मी पूजन के दिन के शुभ चौघड़िया मुहूर्त-
शुभ – उत्तम: 06:32 ए एम से 07:55 ए एम
लाभ – उन्नति: 12:04 पी एम से 01:27 पी एम
अमृत – सर्वोत्तम: 01:27 पी एम से 02:50 पी एम
शुभ – उत्तम: 04:13 पी एम से 05:36 पी एम
लक्ष्मी पूजन का रात का शुभ चौघड़िया मुहूर्त-
अमृत – सर्वोत्तम: 05:36 पी एम से 07:13 पी एम
राहुकाल का समय- दिवाली के दिन दोपहर 01:27 बजे से दोपहर 02:50 तक राहुकाल रहेगा। राहुकाल के दौरान शुभ व मांगलिक कार्यों की मनाही होती है। ज्योतिष शास्त्र में इसे अशुभ योगों में गिना जाता है।
दिवाली पूजन सामग्री लिस्ट– गुलाब के फूल, कमल का फूल, शुद्ध घी, शक्कर, शहद, गंगाजल, पंच मेवा, दूर्वा, हल्दी की गांठ, सप्तमृत्तिका, धनिया साबुत, कमल गट्टे, पान के पत्ते, सुपारी, रुई, सोलह श्रृंगार, आम के पत्ते, मिट्टी या पीतल का कलश, कलश ढकने के लिए ढक्कन, माला, गणेश-लक्ष्मी जी के वस्त्र, चांदी का सिक्का, कुबेर यंत्र, गणेश-लक्ष्मी जी मूर्ति, तांबूल (लौंग लगा पान का बीड़ा), मिट्टी की दीये, सरसों का तेल, अगरबत्ती, दीपक, लाल कपड़ा (आधा मीटर), तुलसी दल, इत्र की शीशी, मौली, लौंग, छोटी इलायची, मिठाई,नैवैद्य, गन्ना, सीताफल, सिंघाड़े, दूध, दही, जल का पात्र, अर्घ्य पात्र, गट्टे, मुरमुरे, खील-बताशे, बही-खाता, स्याही की दवात, कलम, नारियल, सिंदूर, गुलाल, कुमकुम, अबीर,चावल, चौकी, चौक पूरने के लिए आटा, जनेऊ 5, केसर, कपूर, चंदन आदि।
दिवाली पूजा विधि– सबसे पहले घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में एक साफ चौकी में लाल कपड़ा बिछाएं। इस पर मां लक्ष्मी- भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
सबसे पहले लक्ष्मी-गणेश जी का गंगाजल से स्नान कराएं। अब मां लक्ष्मी व भगवान गणेश को वस्त्र पहनाएं और उन्हें कमल, गुलाब के फूल व इत्र आदि अर्पित करें। अब मां लक्ष्मी व भगवान गणेश के सामने सभी सामग्री को एक-एक करके अर्पित करें।
इसके बाद देवी-देवताओं को तिलक करें व अक्षत लगाएं। अब विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के बाद आरती उतारें। अंत में भूल चूक के लिए मांगी मांगे।
मां लक्ष्मी व भगवान गणेश का प्रिय भोग- मां लक्ष्मी को खीर अतिप्रिय है। इसलिए दिवाली पर मां लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं। इसके अलावा सिंघाड़ा, नारियल, पान का पत्ता, हलुआ व मखाने का भोग भी लगा सकते हैं। गणेश जी को मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाया जा सकता है।
दिवाली पर इन मंत्रों का करें जाप- लक्ष्मी जी का बीज मंत्र- ऊं हीं श्रीं लक्ष्मीभयो नम:
गणेश जी का बीज मंत्र- ऊं गं गणपतये नम:
माता लक्ष्मी की आरती-
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता। तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता। कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता। रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता। उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥
दोहा – महालक्ष्मी नमस्तुभ्यम्, नमस्तुभ्यम् सुरेश्वरि। हरिप्रिये नमस्तुभ्यम्, नमस्तुभ्यम् दयानिधे।।
पद्मालये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं च सर्वदे। सर्व भूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं।।
भगवान गणेश जी की आरती-
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत,
चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे,
मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े,
और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे,
संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत,
कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत,
निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए,
सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो,
शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो,
जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती,
पिता महादेवा ॥