बांग्लादेश के राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को लगातार पद छोड़ने के लिये दवाब का सामना करना पड़ रहा है।
शेख हसीना के पद छोड़कर जाने के बाद अब राष्ट्रपति शहाबुद्दीन के पद को लेकर भी असमंजस की स्थिति बनीं हुई है।
उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों का तर्क है कि वह शेख हसीना के तरफ से ही नियुक्त व्यक्ति है और वर्तमान में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के हितों को ही साध रहे हैं।
न्यूज एजेंसी एएफपी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिम सरकार के मीडिया सलाहकार ने शफीकुल आलम ने कहा कि राष्ट्रपति शहाबुद्दीन को हटाने का कोई भी निर्णय सभी राजनीतिक पार्टियों से परामर्श करने और आपसी सहमति को बनाने के बाद लिया जाएगा।
यही नहीं अंतरिम सरकार में कैबिनेट मंत्री और सरकार की प्रवक्ता सैयदा रिजवाना हसन ने भी कहा कि शहाबुद्दीन को राष्ट्रपति पद से हटाने की चर्चा चल रही है।
हम जल्दी ही किसी निर्णय पर पहुंचेंगे। रिजवाना ने सोमवार को मीडिया कर्मियों से कहा कि हम सभी को इस बात पर विचार करना होगा कि आखिर क्यों हम एक फासीवादी सरकार को उखाड़ फेंकने के बाद उसके द्वारा चुने गए राष्ट्रपति को बरकरार रखे हुए हैं। हमें इसके बारे में जल्दी ही फैसला करना होगा।
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास में घुसने की कोशिश की
दरअसल, शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद कथित आंदोलन में शामिल छात्रों और राजनैतिक पार्टियों ने राष्ट्रपति में भरोसा जताया था।
उन्हीं के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन भी किया गया लेकिन यह भरोसा तब डगमगा गया जब राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने शेख हसीना का लिखित में इस्तीफा नहीं देखा।
इसके बाद राष्ट्रपति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन बढ़ गए। प्रदर्शनकारी भीड़ ने राष्ट्रपति आवास में घुसने की कोशिश की, जिसके कारण हुई झड़प में 30 सुरक्षा अधिकारी और प्रदर्शनकारी घायल हो गए।
लोगों का यह प्रदर्शन इसलिए भी है कि अगर हसीना ने इस्तीफा नहीं दिया था तो वह अभी भी बांग्लादेश की प्रधानमंत्री हैं, जिससे वर्तमान अंतिरम सरकार की संवैधानिक उपयोगिता पर सवाल खड़े होते हैं।
राष्ट्रपति की टिप्पणी के बाद अंतरिम सरकार में मंत्री और प्रदर्शन में शामिल छात्र नेता आसिफ नजरुल ने आरोप लगाया कि टिप्पणियां उनके पद की शपथ का उल्लंघन थीं।