प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
हिंदू धर्म में हर साल बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ पांच दिवसीय पर्व दीपावली मनाया जाता है।
यह पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज के दिन समाप्त होती है। इस साल 29 अक्टूबर को धनतेरस से दीपोत्सव की शुरुआत होगी। वहीं, 31 अक्टूबर को दिवाली मनाई जाएगी।
आमतौर पर घर में रखी देवी-देवताओं की मूर्ति सालों साल मंदिर में स्थापित रहती हैं, लेकिन हर साल दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए नई मूर्ति खरीदी जाती है।
दीपावली के पावन पर्व पर लक्ष्मी-गणेश की नई प्रतिमा या मूर्ति की पूजा-अर्चना करना बेहद शुभ फलदायी माना गया है। आइए जानते हैं कि दिवाली पूजन के लिए लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति खरीदने का क्या महत्व है?
दिवाली पर लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति पूजा करने का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पुरानी मूर्तियां एक साल तक पूजा के बाद पवित्रता खो देती हैं। इसलिए पुरानी मूर्ति को विसर्जित करते नई मूर्ति की पूजा करने का धार्मिक महत्व कहीं अधिक है।
यह एक नई शुरुआत का शुभ प्रतीक माना जाता है,जो जीवन में नई सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है। कहा जाता है कि नई मूर्ति लाने से घर में शुद्धिकरण और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
जिससे दिवाली पर नई मूर्ति स्थापित करने से पहले लक्ष्मी-गणेश की पुरानी मूर्ति को विसर्जित या किसी पवित्र स्थान पर स्थानांतरण कर देना आवश्यक होता है।
मान्यता है कि इससे पुरानी समस्याएं दूर होती हैं। जीवन में आने वाली बाधाओं से छुटकारा मिलता है। इसके बाद लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्ति को पूजास्थल पर स्वच्छ और पूजनीय स्थान पर रखें।
दिवाली की शाम को शुभ मुहूर्त में विधिवत पूजा-अर्चना करें। देवी लक्ष्मी और गणेश जी सुख-शांति और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद मांगे।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।