भारत और कनाडा के बीच में बिगड़ते संबंधों में एक और मुद्दा जुड़ गया है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा मांगे गए कनाडाई अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर के डेथ सर्टिफिकेट को देने में कनाडा सरकार ने रुचि नहीं दिखाई है।
पिछले साल जून में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में निज्जर की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद कनाडा ने इसका आरोप भारत सरकार और भारत की एजेंसियों पर लगाया था।
उन आरोपों का असर यह हुआ कि भारत और कनाडा के संबंध आज अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं।
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई धरती पर कनाडाई नागरिक की हत्या का आरोप लगाते हुए सीधे भारत सरकार पर हमला बोला।
इसके जवाब में भारत सरकार ने कनाडा पर चरमपंथियों और भारत विरोधी तत्वों को शरण देने का आरोप लगाते हुए कनाडा द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को बेतुका और राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर दिया।
हरदीप सिंह निज्जर पर एनआईए के क्या हैं आरोप
कनाडाई आतंकी हरदीप सिंह निज्जर पर एनआईए का आरोप है कि वह 2021 में जालंधर में एक हिंदू पुजारी की हत्या में शामिल था।
इस मामले के सिलसिले में कनाडा ने उस पर 2022 में 10 लाख रुपये का नकद इनाम घोषित कर रखा था। निज्जर लगातार भारत के खिलाफ सोशल मीडिया पर जहर उगलता रहता था।
एनआईए के पास दो मामले दर्ज हैं, जिनमें निज्जर को एक आरोपी के रूप में नामित किया गया था।
उसकी केस फाइलों के डॉक्यूमेंटेशन को पूरा करने के लिए जांच अधिकारियों को दिल्ली में अदालत के समक्ष निज्जर का डेथ सर्टिफिकेट रखना होगा, यही कारण है कि उन्होंने पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत करीब 6 महीने पहले कनाडाई सरकार से उसका मृत्यु प्रमाण पत्र साझा करने के लिए कहा है। लेकिन इसे देने के बजाय उन्होंने इसकी जरूरत के बारे में पूछा, अब उन्हें इस पर जवाब भेजे जाएंगे।
हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से ही भारत और कनाडा के संबंधों में तेजी से गिरावट देखने को मिलने लगी थी। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने अपनी संसद में भारत सरकार का नाम लेकर उन पर आरोप लगाया था।
भारत ने इन आरोपों को बेतुका और राजनीति से प्रेरित कहकर खारिज कर दिया था। कनाडा में ट्रूडो सरकार के ऊपर कनाडाई नागरिक बनकर बैठे खालिस्तानी आतंकियों को संरक्षण देने का आरोप लगता है।
हाल ही में निज्जर को लेकर उन्होंने भारतीय उच्चायुक्त को भी कटघरे में खड़ा कर दिया, जिसके बाद भारत सरकार ने अपने राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया और कनाडा के राजनयिकों को देश के निष्कासित कर दिया।