प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
धनतेरस का त्योहार दीवाली से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है।
दीपावली भले ही एक दिन मनाई जाती है। मगर यह पर्व पांच दिन तक रहता है। यानि धनतेरस या धनत्रयोदशी सेयम द्वितीया तक मनाया जाता है।
शास्त्रों मेंइन पांच दिनों को यम पंचक कहा गया है। इन पांच दिनों में यमराज, वैद्यराज, धनवंतरि, लक्ष्मी-गणेश, हनुमान जी, मां काली और भगवान चित्रगुप्गुत की पूजा का विशेष विधान है।
इस बार अमावस्या की तिथि एक दिन अधिक होने के कारण इस वर्ष पंच दिवसीय दीप पर्व छह दिनों में पूरा होगा। श्री हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया कि धनतेरस का नाम धन और तेरस से बनाया है।
इसमें धन का मतलब संपत्ति में वृद्धि से है और तेरस का अर्थ हिंदू कलेंडर की 13 वीं तिथि से है। इस दिन भगवान धनवंतरि की पूजा की जाती है, साथ ही दिन कुबेर और लक्ष्मी माता की पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण माना गया है।
धनतेरस की त्रियोदशी तिथि 29 अक्तूबर की सुबह 10 बजकर 31 मिनट से आरंभ हो रही है।
यह 30 अक्तूबर की दोपहर 1 बजकर 15 मिनट तक रहेगी। इसी दिन प्रदोष काल शाम 5 बजकर 38 मिनट सेरात 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा।
धनतेरस के लिए 29 अक्तूबर को गोधूली कालशाम 6 बजकर 31 मिनट सेरात 8 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। धनतेरस की पूजा के लिए 1 घंटा 42 मिनट तक का समय रहेगा।
उन्होंने बताया धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है। जिसमें खरीदारी करना शुभ माना गया है। 29 अक्टूबर को पूरा दिन खरीदारी का मुहूर्त रहेगा।
इस दिन सोना, चांदी, बर्तन, गहने आदि कीमती सामान खरीदना महत्वपूर्ण माना गया है। यह खरीदारी घर में शुभ आगमन का प्रतीक रहती है।
धनतेरस को क्या करें, क्या न करें:-
धनतेरस के त्योहार का मुख्य संबंध यमराज की आराधना से है। इसी दिन आयुर्वेद के प्रवर्तक धनवंतरि की जयंती भी है।
एक तरफ वैद्य समाज धनवंतरि पूजन करता है। वहीं गृहगृस्थ दीप जलाकर यम राज से अकाल मृत्यु टालने की प्रार्थना करतेहैं।