आज योगगुरु का नाम आता है तो लोग सबसे पहले बाबा रामदेव का नाम लेते हैं।
कई बार राजनीतिक बयानों को लेकर भी वह चर्चा में रहते हैं। हालांकि उनसे पहले भी एक ऐसे योग गुरु रहे हैं जिनके कार्यक्रम टीवी पर आते थे।
वहीं सत्ता में उनकी बड़ी भूमिका भी रहती थी। बिहार के मधुबनी में जन्मे धीरेंद्र ब्रह्मचारी पूर्व प्रधानमंत्री पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी के भी योग गुरु थे।
इंदिरा गांधी के वह इतने करीब थे कि बंद कमरे में वह उन्हें योग सिखाया करते थे। इंदिरा गांधी के जीवनी लेखिका कैथरीन फ्रैंक ने भी अपनी किताब में भी उनका जिक्र किया।
धीरेंद्र ब्रह्मचारी के आश्म को ना केवल शिक्षा मंत्रालय से अनुदान दिया जाता था बल्कि मंत्रालय की तरफ से उनको एक शानदार बंगला भी आवंटित किया गया था।
बताया जाता है कि धीरेंद्र ने 13 साल की उम्र में ही घर छोडड दिया था। इसके बाद वह लखनऊ के गोपालखेड़ा में महर्षि कार्तिकेय आश्रम में योग सीखने लगे।
इसके बाद वह दिल्ली के सियासी गलियारों में नजर आने लगे। उनका राजनीतिक दबदबा इतना था कि उस वक्त उनके पास चार सीटर प्राइवेड जेट, 19 सीटर डार्नियर और मॉल – 5 विमान थे।
वह खुद प्रशिक्षित पायलट थे और अपने विमान खुद उड़ाते थे। बताया जाता है कि उनका रसूख इतना था कि किसी भी नौकरशाह का कभी भी तबादला करवा सकते थे।
पूर्व प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल ने भी अपनी आत्मकथा ‘मैटर्स ऑफ डिस्क्रेशन’ में धीरेंद्र ब्रह्मचारी का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि राज्यमंत्री रहते हुए उन्हें भी धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने डीमोट करवाने की धमकी दे दी थी।
उन्होंने जब उनकी बात नहीं सुनी तो सच में उनके साथ ऐसा ही हुआ और कैबिनेट रीशफल में उनके ऊपर एक और मंत्री को बैठा दिया गया। उनके खिलाफ जब गुजरात ने इंदिरा गांधी से शिकायत की तो वह चुप ही रहीं।
धीरेंद्र ब्रह्मचारी का जन्म 12 फवरवीर 1924 को बिहार के मधुबनी जिले में हुआ था। 1958 में वह दिल्ली पहुंचे। उनकी इंदिरागांधी से पहली मुलाकात कश्मीर में हुई।
इसके बाद वह इंदिरा गांधी के योग गुरु बन गए। उनके अलावा जयप्रकाश नारायण, मोरारजी देसाई और डॉ. राजेंद्र प्रसाद भी उनके योग शिष्य बन गए। दिल्ली में विश्वायतन योग आश्रम का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने ही की थी।
धीरेंद्र ब्रह्मचारी धोती लपेटकर ही ज्यादातर देखे जाते थे। इंदिरा गांधी के करीबी रहे नटवर सिंह के मुताबिक बुधवार को उनका टेलीविजन पर योग कार्यक्रम आता था।
वहीं वह गांधी परिवार के सदस्य के तौर पर रहते थे। इंदिरा गांधी से करीबी के चलते उन्हें रासपुतिन के तौर पर भी जाना जाने लगा।
हालांकि इंदिरा गांधी के करीबियों नेइसे अफवाह ही बताया। आपातकाल के दौरान वह इंदिरा गांधी के और ज्यादा करीबो हो गए। उनकी संपत्ति भी लगातार बढ़ती गई। वहीं वह संजय गांधी के भी करीब रहते थे।
1980 में इंदिरा गांधी की वापी के बाद वह उनके साथ ज्यादा दिखते थे। वह संजय गांधी के करीब रहते थे। वहीं विमान हादसे में संजय गांधी की मौत के बाद उन्होंने कहा था कि संजय गांधी को इतनी ज्यादा कलाबाजियां नहीं दिखानी चाहिए थी।
रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में लिखा है कि संजय गांधी के सहारे वह गांधी परिवार के योग गुरु के रूप में लंबे समय तक बने रहे।
संजय गांधी की तरह ही धीरेंद्र भी विमान उड़ाने के शौकीन थे। बताया जाता है कि संजय गांधी की मौत के बाद धीरेंद्र ब्रह्मचारी का रसूख भी कम होने लगा।
राजीव गांधी और उनके विचार मेल नहीं खाते थे। दूरदर्शन पर आने वाला उनका कार्यक्रम भी अचानक बंद कर दिया गया। यहां तक कि प्रधानमंत्री आवास में उनके प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई।
इंदिरा गांधी के अंतिम संस्कार के वक्त भी धीरेंद्र ब्रह्मचारी को दूर कर दिया गया।
इसके कुछ दिन बाद ही एक विमान दुर्घटना में धीरेंद्र ब्रह्मचारी की मौत हो गई।
उनके पायलट ने सलाह दी थी कि मौसम खराब है इसलिए वह उड़ान ना भरें। हालांकि उन्होंने एक नहीं सुनी। बाद में उनका विमान झाड़ियों में गिरा हुआ पाया गया।