प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
करवा चौथ कार्तिक मास की चौथ को मनाई जाती है।
गणेश जी कीयह चौथ साल की सबसे बड़ी चौथ होती है।
इसलिए इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस व्रत में दोपहर में या शाम को कथा सुनी जाती है और करवा माता की पूजा की जाती है।
यहां हम आपको बताएंगे की कथा सुनने से पहले आपको करवे की पूजा कैसे करनी है। करवे में क्या भरना है, सीकें कहां लगानी है, करवे को कैसे रंगना है, गौरा माता से सुहाग कैसे लेना है। करवा कैसे बदलना है।
करवा चौथ में शाम की पूजा कैसे करें
करवा चौथ को सबसे पहले धो लें। आपको दो करवे लेने हैं। मिट्टी के एक करवे में गंगाजल मिलाकर जल भर लें। इसमें थोड़े से चावल और एक सिक्का डाल दें।
दूसरे वाले करवे में अनाज, गुलगुले चावल के आटे की गोलियां बनाकर इसे भर लें, कुछ लोग गेहूं, खील, कुछ लोग बताशे और आटे की गोलियां बनाकर रखते हैं। सबसे पहले चावल के आटे में हल्दी मिलाकर आपको करवे को इससे रंगना होगा।
बिना करवे को रंगे इसे पूजा में नहीं रख सकते हैं। इसके बाद करवे को आटे से ढ़ककर इस पर दीपक जलाते हैं। दीपक में दो बत्ती रखें।
इन दोनों करवे को चौकी पर चावल रखकर स्थापित करें। एक करवा पार्वती माता का माना जाता है है और दूसरा करवे से आपका है, जिससे आप चांद को अर्घ्य देंगे।
इसके बाद करवा माता को सुहाग का सामान अर्पित करते हैं, जिसे आप सास को बायना जिसमें मिठाई, साड़ी और सुहाग का सामान रखना है।
इस पूजा सबसे पहले गणपति और शिव परिवार की पूजा की जाती है। इसके बाद करवा माता को चुनरी अर्पित करने के बाद कलावा और चनेऊ अर्पित करें।
दक्षिणा रखें। इसके बाद आपको सात बार करवा बदलना है। आपको पार्वती माता से अपना करवा बदलना है। अपनी -अपनी परंपरा अनुसार ले सुहागन करवा ले आदि बोला जाता है।
इसके बाद आप कहानी सुने और आरती करें। इसके बाद माता रानी से सुहाग लिया जाता है। सात सात सीकें करवे में लगाई जाती हैं।
कैसे लेते हैं सुहाग
माता रानी से सुहाग लेने की परंपरा भी सभी जगह अलग-अलग है। सुहाग लेने के लिए मिट्टी का एक टुक़डा रख लें। इसमें सात बार सिंदूर अर्पित करें और फिर सात बार सिंदूर लेकर अपनी मांग में भरें।
इसके अलावा कई जगह शादी की चुनरी ओढ़कर चुनरी की पल्लू से आपको माता को सिंदूर सात बार अर्पित करना है और फिर माता की मांग से लेकर 7 बार अपनी मांग में भी लें।