चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी सेना की तैयारियों को देखने पहुंचे।
अपनी विजिट के दौरान जिनपिंग ने सैनिकों से कहा कि सेना युद्ध के लिए अपनी तैयारियों को मजबूत रखे, रॉकेट फोर्स ब्रिगेड का जायजा लेने पहुंचे शी ने परमाणु हथियारों पर भी जोर देने को कहा।
चीनी राष्ट्रपति का सैन्य साजो सामान और सेना का हौसला बढ़ाने का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब चीनी सेना लगातार ताइवान के सामने युद्धाभ्यास कर चुनौती पेश कर रही है वहीं भारत के साथ भी सीमा पर टकराव की स्थिति बनी हुई है।
चीन के सरकारी मीडिया सीसीटीवी के अनुसार, शी के इस दौरे के दौरान सैनिकों का उत्साह देखने लायक था।
राष्ट्रपति ने सैनिकों से कहा कि हमें व्यापक रूप से युद्ध के लिए तैयार रहना होगा, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे सैनिकों के पास युद्ध को लड़ने के लिए ठोस क्षमताएं हों।
सैनिकों को युद्ध के दौरान काम आने वाली रणनीतिक क्षमताओं का बढ़ाना चाहिए।
चीन ने ताइवान के पास तैनात किए अपने लड़ाकू जेट
चीन लगातार ताइवान के ऊपर हमलावर रुख अपनाए हुए हैं। ताइवान को घेरने के लिए ड्रैगन ने लड़ाकू जेट, ड्रोन, युद्धपोत और तट रक्षक जहाजों को तैनात किया है।
पिछले दो वर्षों में द्वीपीय देश ताइवान के सामने चीनी सेना का यह चौथा युद्धाभ्यास चल रहा है।
चीन की सेना का युद्धाभ्यास ताइवान की धड़कन को बढ़ाने वाला है क्योंकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता लगातार अपने भाषणों में जोर देकर इस बात को कहते रहते हैं कि वह ताइवान को बीजिंग के नियंत्रण में लाने के लिए सैन्य बल प्रयोग के लिए मना नहीं करेंगे इन रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रपति जिनपिंग ने कहा कि चीनी सेना को देश की रणनीतिक सुरक्षा और मुख्य हितों की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।]
पुराना है चीन और ताइवान के बीच का विवाद
चीन और ताइवान के बीच विवाद एक गृहयुद्ध से जुड़ा है जिसमें 1949 में चियांग काई-शेक के नेतृत्व में राष्ट्रवादी पार्टी को समर्थन करने वाले लोग माओत्से तुंग के कम्युनिस्ट लड़ाकों से हारकर चीन की मुख्य भूमि को छोड़कर द्वीप पर भाग गईं थी।
तब से कम्युनिस्ट पार्टी का शासन चीन की मुख्य भूमि पर है जबकि चांग काई शेक के नेतृत्व में गए लोगों का शासन ताइवान पर है।
दोनों ही देश अपने आप को असली चाइना कहते हैं और मुख्य भूमि समेत ताइवान को अपना हिस्सा मानते हैं।