पाक सेना द्वारा लोगों को ‘गायब’ करने के खिलाफ बलूचिस्तान में बवाल, जनता जनविद्रोह के लिए तैयार…

यह बात जग जाहिर है कि पाकिस्तान में बलूचिस्तान के लोगों को हिकारत भरी नजरों से देखा जाता है।

पाकिस्तान की सियासत से लेकर वहां की सेना तक बलूचिस्तान के लोगों के साथ सौतेला व्यवहार करती आई है।

आए दिनों बलूचिस्तान के कई शहरों से लोगों को जबरन गायब कर दिया जा रहा है। इस अपहरण के लिए जिम्मेदार बलूचिस्तान की जनता पाक सेना को ठहरा रही है।

इस तरह गायब हो रहे नागरिकों के खिलाफ वहां की जनता का गुस्सा फूटा है और वे जनविद्रोह करने पर आमाद हैं।

फिर गायब हुए 12 लोग

हालिया रिपोर्ट के अनुसार, डेरा बुग्ती में 12 बलूच व्यक्तियों का अपहरण किया गया है। बलूच समुदाय और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का आरोप है कि पाकिस्तानी सेना इन अपहरणों में शामिल है।

बलूच कार्यकर्ता माहरंग बलूच ने इन घटनाओं को चिंताजनक बताया है और सभी से एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज उठाने की अपील की है।

उन्होंने कहा, “डेरा बुग्ती में 12 बलूच व्यक्तियों को बलात्कारी तरीके से गायब कर दिया गया है, जिनमें एक एसएचओ लेवल का अधिकारी भी शामिल है।

उनका परिवार निराश है और सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। यह चिंताजनक लहर सभी द्वारा विरोध किया जाना चाहिए।”

बलूच यकजेती कमेटी की अपील

बलूच यकजेती कमेटी (बीवाईसी) ने इन अपहरण के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय समुदाय और मानवाधिकार संगठनों से सहायता की मांग की है।

उन्होंने एक बयान में कहा, “गायब हुए व्यक्तियों में से एक एसएचओ है। डेरा बुग्ती से जबरन अगवा किए जाने की एक और लहर सामने आई है। हमें इस क्रूर प्रथा को समाप्त करने के लिए विरोध करना होगा।”

कराची से चार युवा गायब

इससे पहले, कराची में भी चार युवा बलूच पुरुषों के गायब होने की खबरें आई थीं। ये युवक पंजगुर के निवासी थे और चिकित्सा उपचार के लिए कराची के सदर में एक होटल में ठहरे हुए थे।

रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी बलों ने होटल में छापे के दौरान इन चार युवाओं को हिरासत में लिया। गायब हुए व्यक्तियों की पहचान जैन बलूच, जरीफ अहमद, अकबर बलूच, और अनीस बलूच के रूप में हुई है।

लगातार बढ़ रहा जनविद्रोह

बलूचिस्तान में इन घटनाओं के खिलाफ जन विद्रोह का स्वर तेज हो गया है। स्थानीय लोग अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरने के लिए तैयार हैं।

बलूच यकजेती कमेटी ने मांग की है कि इस बढ़ती समस्या पर ध्यान दिया जाए और बलूचिस्तान में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

यह संकट केवल बलूच समुदाय का नहीं, बल्कि मानवाधिकारों का भी है जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय के ध्यान की मांग करता है।

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