यूक्रेन के लिए NATO की सदस्यता एक दूर की कौड़ी बन गई है; क्यों नहीं मिल रही सदस्यता और क्या है इस मुद्दे का पेच?…

यूक्रेन के लिए नाटो की सदस्यता दूर की कौड़ी होती जा रही है।

दो साल से सदस्यता लेने का प्रयास कर रहे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है।

नाटो ने एक बार फिर से यह स्पष्ट किया कि वह यूक्रेन को अपने संगठन में शामिल करने के लिए फिलहाल तैयार नहीं है।

नाटो के सहयोगी देशों ने जेलेंस्की से उनकी ‘विक्ट्री प्लान’ के बारे में और जानकारी मांगी है, जो रूस के साथ चल रहे युद्ध को समाप्त करने के उद्देश्य से बनाई गई है।

जेलेंस्की जल्द चाहते हैं नाटो की सदस्यता

जेलेंस्की की योजना इस पर केंद्रित है कि नाटो उनकी सदस्यता आवेदन पर तेजी से कार्य करे। यूक्रेन द्वारा यह आवेदन दो साल पहले रूस के आक्रमण के बाद नाटो से संरक्षण मांगने के तहत किया गया था।

दरअसल नाटो की सबसे बड़ी विशेषता उसका सामूहिक सुरक्षा गारंटी है, जिसका उल्लेख संगठन के अनुच्छेद 5 में कहा गया है।

यह 32 सदस्य देशों द्वारा किए गए राजनीतिक वचनबद्धता है कि यदि किसी सदस्य देश की संप्रभुता या क्षेत्र पर हमला होता है, तो सभी सदस्य उसकी सहायता करेंगे। लेकिन यह प्रावधान यूक्रेन जैसे सहयोगी देशों पर लागू नहीं होता।

एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, नाटो महासचिव मार्क रूटे ने जेलेंस्की के विक्ट्री प्लान पर किसी स्वागत योग्य प्रतिक्रिया नहीं दी और कहा कि वे और सहयोगी इस पर ध्यान दे रहे हैं।

उन्होंने यह भी स्पष्ट नहीं किया कि यूक्रेन कब नाटो में शामिल हो सकता है, सिर्फ यह कहा कि यूक्रेन एक दिन सदस्य बनेगा।

नाटो का यूक्रेन को दिलासा

रूटे ने कहा, “इस योजना में कई राजनीतिक और सैन्य मुद्दे हैं जिन पर हम यूक्रेन के साथ चर्चा करेंगे। हमें यह देखना होगा कि हम क्या कर सकते हैं और क्या नहीं।”

फिलहाल नाटो का ध्यान यूक्रेन को और अधिक क्षेत्रीय जीत दिलाने और भविष्य की शांति वार्ताओं के लिए उसकी स्थिति को मजबूत करने पर है।

उल्लेखनीय है कि यह वक्त यूक्रेन के लिए काफी कठिन है। यूक्रेनी सैनिक डोनेट्स्क क्षेत्र में बेहतर तैयार और सुसज्जित रूसी बलों के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।

यूक्रेन के लिए फिलहाल नाटो की सदस्यता नहीं चाहता अमेरिका

नाटो के सदस्यता की मांग यूक्रेन 16 सालों से कर रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है।

हालांकि, नाटो के बड़े सदस्य देश जैसे अमेरिका और जर्मनी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यूक्रेन को सदस्यता देने से वे परमाणु शक्ति संपन्न रूस के साथ एक व्यापक युद्ध में घसीटे जा सकते हैं।

इसलिए यह देश तब तक यूक्रेन को नाटो में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं जब तक युद्ध समाप्त नहीं होता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap