पूर्व कैबिनेट मंत्री बी नागेंद्र ने बुधवार को जेल से बाहर आने पर आरोप लगाया कि कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम (केएमवीएसटीडीसी) में करोड़ों रूपये के कथित घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार का नाम लेने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन पर दबाव डाला था।
उन्होंने ईडी पर कांग्रेस सरकार को अस्थिर करने की साजिश के तहत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दबाव में उन्हें गिरफ्तार करने का भी आरोप लगाया।
यहां की एक विशेष अदालत ने सोमवार को कांग्रेस विधायक को जमानत दे दी। उन्हें घोटाले के सिलसिले में ईडी ने गिरफ्तार किया था।
नागेंद्र ने कहा, ‘‘देश की सत्ता संभाल रही भाजपा किसी भी तरह से कांग्रेस सरकारों को अस्थिर करने की साजिश कर रही है। तीन माह तक ईडी ने मुझे हमारी सरकार को अस्थिर करने के इरादे से परेशान किया।
वाल्मीकि घोटाले में मेरी कोई भूमिका नहीं होने के बावजूद अचानक मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। भाजपा के केंद्रीय नेताओं के दबाव में ईडी ने मुझे गिरफ्तार करके राज्य सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की।’’
जेल से रिहा होने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में नागेंद्र ने कहा कि घोटाले के सिलसिले में सिद्धारमैया और शिवकुमार का नाम लेने के लिए उन पर दबाव डाला गया था।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने यह कहते हुए ऐसा करने से मना कर दिया कि जब मेरी भूमिका ही नहीं है (घोटाले में), तो उनकी (मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री) भूमिका कहां से हुई? सरकार की भूमिका कहां से आई? बैंक में हुए घोटाले और सरकार के बीच कोई संबंध नहीं है। इसके बावजूद, राज्य और केंद्र दोनों में भाजपा ने साजिश रची जैसा कि उन्होंने ‘एमयूडीए’ घोटाले में किया है।’’ जब उनसे पूछा गया कि किस संदर्भ में उन पर मुख्यमंत्री का नाम लेने के लिए दबाव डाला गया, तो पूर्व मंत्री ने कहा, ‘‘वित्त विभाग (मुख्यमंत्री के पास) के संबंध में नाम लेने के लिए कहा गया था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बिना किसी लिखित आदेश के, बिना किसी आदेश के रुपये अंतरित किए गए। उस समय जब आचार संहिता थी (लोकसभा चुनाव के दौरान) तो बैंक अधिकारियों ने बिना केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) जांचे ही यह कर दिया। यह राज्य सरकार का घोटाला नहीं है, यह बैंक घोटाला है। न तो मुख्यमंत्री और न ही मैं संबंधित मंत्री के तौर पर इस बारे में जानता था। अनावश्यक रूप से, ईडी उनके (मुख्यमंत्री के) नाम को इससे जोड़ने की कोशिश कर रही है।’’
नागेंद्र ने घोटाले में शामिल होने के आरोपों के बाद जून में अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
ईडी ने हाल ही में कहा था कि नागेंद्र घोटाले में मुख्य आरोपी है और उन्होंने घोटाले की असली साजिश रची थी।
यह भी कहा था कि उन्होंने 24 अन्य लोगों की मदद से इस घोटाले को अंजाम दिया।
ईडी ने जुलाई में नागेंद्र को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया था, और जांच के दौरान पांच अन्य प्रमुख आरोपियों को भी गिरफ्तार किया गया था।
कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘केवल अन्य दलों के नेताओं जैसे कि केजरीवाल (दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल), सिसोदिया (मनीष सिसोदिया), कविता (तेलंगाना विधान पार्षद और भारत राष्ट्र समिति नेता) को ईडी द्वारा गिरफ्तार किया जा रहा है, लेकिन हमें न्यायपालिका पर भरोसा है क्योंकि इस पर किसी का जोर नहीं है, यही कारण है कि मुझे आज जमानत मिली है।’’
वाल्मीकि निगम के पैसे का इस्तेमाल लोकसभा और अन्य चुनावों के लिए किए जाने के सवाल पर नागेंद्र ने कहा कि जांच जारी है।
विशेष जांच दल (राज्य सरकार द्वारा गठित) ने कहा है कि चुनाव के लिए पैसे का दुरुपयोग नहीं किया गया। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें फिर से मंत्री बनाया जाएगा, नागेंद्र ने कहा कि यह कांग्रेस आलाकमान, सिद्धारमैया, शिवकुमार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर है।
एजेंसी ने दावा किया कि उसकी जांच में पाया गया कि ‘‘बी नागेंद्र के कहने पर, निगम (कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम) का खाता बिना किसी उचित अधिकार-पत्र के एमजी रोड शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां गंगा कल्याण योजना के तहत राज्य के खजाने से 43.33 करोड़ रुपये सहित 187 करोड़ रुपये उचित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना और सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए जमा किए गए।