प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है।
इस साल करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस व्रत में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
सुबह सरगी खाकर व्रत शुरू करती हैं और फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। दोपहर के समय कथा पढ़ी जाती है।
इस व्रत में साहूकार की बेची वाली कहानी तो पढ़ी जाती है, लेकिन चतुर्थी तिथि होने के कारण गणेश जी की यह कथा भी पढ़ी जाती है। कथा इस प्रकार है-
गणेश जी की खीर वाली कहानी
एक बार भगवान गणेश बाल रूप में चुटकी भर चावल और चम्मच में दूध धरती पर गए और सभी को खरी बनाने की प्रार्थना करने लगे।
हर कोई इतने से चावल देखकर हंसने लगता। इस पर गणेश जी ने एक गरीब बुढ़िया से खीर बनाने के लिए कहा और वह उनकी खीर बनाने के लिए तैयार हो गई।
उसने एक भिगोना चूल्हे पर चढ़ा दिया। इस पर गणेश जी ने घर का सबसे बड़ा बर्तन चूल्हे पर चढ़ाने को कहा। बुढ़िया ने बाल लीला समझते हुए घर का बड़ा भगोना उस पर चढ़ा दिया।
अब क्या था गणेश जी के जरा से चावल से पूरा बर्तन भर गया। गणेश जी ने कहा मैं नहाने जाते हूं मेरे लिए खीर तैयार रखना। इतने में बुढिया माई की गर्भवती बहू को लालच आ गया और उसने खीर चख ली और कटौरा छिपा दिया। इसके बाद जब बुढिया माई ने गणेश जी आवाज लगाई कि
आजा रे गणेस्या खीर खा ले, आजा रे गणेस्या खीर खा ले.” तभी गणेश जी वहां पहुंच गए और बोले कि मैंने तो खीर पहले ही खा ली।
जब बुढ़िया ने पूछा कि कब खाई तो वे बोले कि जब तेरे पोते और बहू ने खाई तभी मेरा पेट भर गया। यह देख कर बुढिया माई बहुत शर्मिंदा हुई, लेकिन गणेश जी ने कहा, इस खीर को सभी को खिला देना और जो बाकी बचे उसे जमीन में गाढ़ देना।
बुढिया माई ने वैसा ही किया और अगले दिन खीर वाली जगह से उसे सोना चांदी मिले। गणेश जी कृपा से बुढ़िया प्रसन्न हुईं।
कथा के बाद की कामना
हे गणेश जी महाराज! आपने जैसा फल बुढ़िया को दिया, वैसा सबको देना। कथा कहने वाले व हुंकार भरने वाले और आसपास के सुनने वाले सब के भंडारे भरे रखना।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।