एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के खौफ के बीच पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है।
हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को आदेश दिया है कि लॉरेंस बिश्नोई को स्टेट गेस्ट जैसा सम्मान देने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
कोर्ट का यह आदेश एसआईटी की रिपोर्ट पर दिया है। लॉरैंस बिश्नोई ने पुलिस हिरासत में मोहाली के खरड़ CIA ब्रांच में इंटरव्यू दिया था, जिसकी जांच के आदेश दिए गए थे।
इस मामले में गठित SIT ने अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी है। हाई कोर्ट की नाराजगी के बाद पंजाब सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने अदालत को विश्वास दिलाया है कि जल्द ही दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।
हाई कोर्ट द्वारा गठित SIT के प्रमुख IPS प्रबोध कुमार ने मंगलवार को कोर्ट को बताया कि जांच पूरी हो चुकी है। रिपोर्ट के साथ SIT ने उन अधिकारियों की भूमिका के बारे में भी एक नोट सौंपा, जिन्होंने लारैंस बिश्नोई के इंटरव्यू में मदद की थी।
हाई कोर्ट ने उक्त नोट की प्रति कोर्ट का सहयोग कर रही वकील तन्नू बेदी को भी सौंप दी। अगली सुनवाई पर वे इस रिपोर्ट का अध्ययन कर कोर्ट का सहयोग करेंगी।
पंजाब सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक हाई पावर कमेटी बनाई थी, लेकिन वह कमेटी मामले को नहीं सुलझा पाई थी।
कोर्ट का सहयोग कर रही वकील इसके लिए दोषी अधिकारियों की भूमिका को लेकर भी अगली सुनवाई पर कोर्ट में जानकारी देंगी।
28 अक्तूबर तक कार्रवाई कर रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश
पंजाब सरकार की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया कि मोहाली के तत्कालीन SSP विवेक शील सोनी, SP अमनदीप सिंह बराड़, DSP गुरशेर सिंह संधू और CIA खरड़ के इंचार्ज इंस्पेक्टर शिव कुमार को कारण बताओ नोटिस जारी कर उन्हें सात दिनों के भीतर जवाब दायर करने को कहा था।
कोर्ट को विश्वास दिलाया गया कि 10 दिन के भीतर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई कर दी जाएगी। कोर्ट को बताया गया कि जिन अधिकारियों की भूमिका इस मामले में संदिग्ध पाई गई है, उन्हें पब्लिक डीलिंग की पोस्ट से हटा दिया गया है।
हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई 28 अक्तूबर तक स्थगित करते हुए कार्रवाई कर रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
सुनवाई के दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से शामिल हुए ADG जेल अरुण पाल ने कोर्ट को बताया कि जेलों को सुरक्षित बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।
उन्होंने जेलों में वी कवच जैमर लगाने को लेकर जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। हाई कोर्ट ने इसे स्वीकार कर सुनवाई स्थगित कर दी।