भौम प्रदोष व्रत आज, शिव-पूजा के लिए 2 घंटे 30 मिनट का शुभ मुहूर्त, नोट करें पूजाविधि, उपाय…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

अक्टूबर महीने का पहला प्रदोष व्रत आज 15 अक्टूबर, मंगलवार को रखा जाएगा।

आज शिव जी की पूजा करने के लिए 2 घंटे से भी ज्यादा का मुहूर्त रहेगा। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण यह प्रदोष व्रत भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा।

शिव जी को समर्पित है भौम प्रदोष व्रत, जिसकी पूजा संध्या के समय होती है। मान्यता है भौम प्रदोष व्रत रखने और प्रदोष काल में शिव परिवार की पूजा करने से सुख-संपदा में वृद्धि होती है।

आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि, चौघड़िया मुहूर्त शिव मंत्र, उपाय और आरती-

भौम प्रदोष व्रत आज:पंचांग अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत अक्टूबर 14, 2024 को रात में 03:42 बजे होगी, जिसकी समाप्ति अक्टूबर 15, 2024 को रात 12:19 बजे तक होगी।

शिव-पूजा के लिए 2 घंटे 30 मिनट का शुभ मुहूर्त:आज भौम प्रदोष के दिन पूजा-पाठ के लिए 2 शुभ मुहूर्त रहेंगे, पहला मुहूर्त अभिजित मुहूर्त सुबह 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक है। वहीं, प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 05:51 बजे से रात 08:21 बजे तक है, जिसकी अवधि लगभग 02 घण्टे 30 मिनट तक रहने वाली है।

मंत्र-ॐ नमः शिवाय, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं

प्रदोष पूजा-विधि:स्नान करने के बाद साफ वस्त्र धारण कर लें। शिव परिवार सहित सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें। अगर व्रत रखना है तो हाथ में पवित्र जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत रखने का संकल्प लें। फिर संध्या के समय घर के मंदिर में गोधूलि बेला में दीपक जलाएं।

फिर शिव मंदिर या घर में भगवान शिव का अभिषेक करें और शिव परिवार की विधिवत पूजा-अर्चना करें। अब भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनें। फिर घी के दीपक से पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव की आरती करें। अंत में ॐ नमः शिवाय का मंत्र-जाप करें। अंत में क्षमा प्रार्थना भी करें।

भौम प्रदोष उपाय

शिव जी की असीम कृपा पाने के लिए पूजन के दौरान शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें-

1. घी

2. दही

3. फूल

4. फल

5. अक्षत

6. बेलपत्र

7. धतूरा

8. भांग

9. शहद

10. गंगाजल

11. सफेद चंदन

12. काला तिल

13. कच्चा दूध

14. हरी मूंग दाल

15. शमी का पत्ता

भौम प्रदोष पर चौघड़िया मुहूर्त

चर – 09:14 से 10:40

लाभ – 10:40 से 12:07

अमृत – 12:07 से 13:33

शुभ – 14:59 से 16:25

लाभ -19:25 से 20:59 काल रात्रि

शिव जी की आरती

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा॥

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।

नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

ॐ जय शिव ओंकारा॥

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