खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या मामले में भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में आई दरार अब और चौड़ी होती जा रही है।
भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित करने का फैसला किया है।
उन्हें नई दिल्ली छोड़ने के लिए सिर्फ पांच दिनों की मोहलत दी है। निज्जर की हत्या में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा के शामिल होने के कनाडा के नए आरोपों के बाद भारत ने संकेत दिए हैं कि बेबुनियाद आरोप लगाने वाली जस्टिन ट्रूडो सरकार और कनाडा के खिलाफ तेवर और सख्त होने वाले हैं।
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि भारत ने एक तरफ अपने उच्चायुक्त और सभी राजनयिकों और अधिकारियों को कनाडा से वापस बुलाने का फैसला लिया है और दूसरी तरफ कनाडा के खिलाफ जवाबी कदम उठाने का भी निर्णय किया है।
भारत ने कनाडाई प्रभारी उच्चायुक्त को तलब कर इसके संकेत दे दिए थे कि उसके लिए आगे की राह आसान नहीं रहने वाली है।
सूत्रों ने बताया कि भारत के खिलाफ उग्रवाद, धार्मिक हिंसा-उन्माद और अलगाववाद को ट्रूडो सरकार द्वारा समर्थन दिए जाने के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार उसके पास सुरक्षित है।
सूत्रों के मुताबिक, इस बात की भी चर्चा है कि भारत उसके उच्चायुक्त की नियुक्ति को मंजूरी नहीं दे सकता है। फिलहाल स्टीवर्ट व्हीलर नई दिल्ली में कनाडाई मिशन के इंचार्ज हैं।
वे फुल टाइम उच्चायुक्त नहीं है। कनाडा ने क्रिस्टोफर कूटर को दिल्ली में उच्चायुक्त बनाया है, जिस पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। जून में कैमरून मैके के नई दिल्ली छोड़ने के बाद से यह पद खाली है।
भारत और कनाडा के बीच पिछले साल से तनातनी चल रही है लेकिन संबंधों में नई गिरावट तब आई, जब कनाडा ने निज्जर हत्याकांड में अपनी हालिया जांच में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा को ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में लिंक किया।
कनाडा ने भारत के साथ साझा किए एक कम्यूनिकेशन में वर्मा पर निज्जर की हत्या मामले में शामिल होने के आरोप लगाए, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया और इसे बेबुनियाद और मनगढ़ंत करार दिया।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा के इस रुख का सख्त विरोध करते हुए उसे अस्वीकार्य करार दिया।