लाओस में पीएम मोदी के सामने जस्टिन ट्रूडो ने गिड़गिड़ाते हुए कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की…

लाओस में आयोजित आसियान (ASEAN) शिखर सम्मेलन के दौरान कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच एक संक्षिप्त बातचीत हुई।

खुद ट्रूडो ने इसकी जानकारी दी। दोनों नेताओं के बीच यह वार्ता ऐसे समय में हुई है जब कनाडा और भारत के बीच पिछले एक साल से संबंध बेहद तनावपूर्ण बने हुए हैं।

ट्रूडो ने भारत के सामने गुजारिश करते हुए कुछ “असल मुद्दों” को सुलझाने की बात कही है। ये मुद्दे क्या हैं इसको लेकर उन्होंने स्पष्ट नहीं किया।

लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि कनाडा की ट्रूडो सरकार भारत द्वारा खालिस्तानी आतंकवादियों पर नकेल कसे जाने से परेशान है।

क्या बोले ट्रूडो?

ट्रूडो ने कहा कि “भारत के साथ वास्तविक मुद्दे हैं जिन्हें हमें हल करने की जरूरत है। हम पिछले कुछ महीनों में पूरे देश में भारतीय कनाडाई लोगों पर हिंसा के परेशान करने वाले पैटर्न देख रहे हैं।”

पिछले साल जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हो गए थे।

ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कनाडा की संसद में भारत सरकार पर इस हत्या में शामिल होने के “विश्वसनीय आरोपों” की बात कही थी, जिसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव गहराया। भारत ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था।

आसियान शिखर सम्मेलन में मोदी से हुई बातचीत के बारे में ट्रूडो ने ज्यादा जानकारी साझा नहीं की, लेकिन उन्होंने कहा कि दोनों देशों को कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर काम करना होगा। उन्होंने कहा, “मैंने यह स्पष्ट किया कि हमें कुछ मुद्दों पर काम करने की आवश्यकता है।”

ट्रूडो ने यह भी कहा कि कनाडा के नागरिकों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा, “कनाडा सरकार का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य है कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, और मैं इसी पर ध्यान केंद्रित करूंगा।”

भारत का दो टूक जवाब

कनाडा के प्रधानमंत्री द्वारा की गई टिप्पणियों के बारे में भारत सरकार के सूत्रों ने भी जानकारी है। हालांकि सूत्रों ने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री ट्रूडो के बीच वियनतियाने में कोई ठोस चर्चा नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि भारत को उम्मीद है कि कनाडा की धरती पर भारत विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों को होने नहीं दिया जाएगा और कनाडा की धरती से भारत के खिलाफ हिंसा, उग्रवाद और आतंकवाद की वकालत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, जो अब तक नहीं की गई है।

भारत कनाडा के साथ संबंधों को महत्व देता है लेकिन जब तक कनाडा सरकार उन लोगों के खिलाफ सख्त और सत्यापन योग्य कार्रवाई नहीं करती है जो भारत विरोधी गतिविधियों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाते हैं और भारत के साथ-साथ कनाडा में भी नफरत, गलत सूचना, सांप्रदायिक वैमनस्य और हिंसा को बढ़ावा देने की साजिश करते हैं, तब तक इन्हें सुधारा नहीं जा सकता।

कहां तक पहुंचा निज्जर हत्याकांड?

हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा ने चार भारतीय नागरिकों पर फर्स्ट-डिग्री हत्या और साजिश का आरोप लगाया है।

इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई कनाडाई अदालत में चल रही है। कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि कनाडा और भारत के संबंध अभी “तनावपूर्ण” और “बहुत कठिन” हैं।

उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि कनाडा में और भी हत्याएं हो सकती हैं, जैसा कि निज्जर के मामले में हुआ था।

जोली ने कहा कि कनाडा भारतीय सरकार से इस मामले की जांच में सहयोग की अपील कर रहा है, लेकिन अभी तक भारत की तरफ से सहयोग नहीं मिला है।

उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि सभी दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए और साथ ही आगे किसी भी तरह की हत्याओं को रोका जाए।”

जब ट्रूडो से इस मामले पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि कनाडा में इंडो-कनाडाई समुदाय के खिलाफ हाल के महीनों में हिंसा की घटनाएं चिंता का विषय हैं और इस पर सरकार गंभीरता से काम कर रही है।

इससे पहले शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने अन्य वैश्विक नेताओं से मुलाकात की, जिनमें ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज भी शामिल थे। हालांकि, मोदी और ट्रूडो के बीच द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई।

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