बीजेपी ने शुक्रवार को दावा किया है कि INDIA गठबंधन विपक्ष के नेता के पद पर राहुल गांधी की जगह दूसरे नेता को बैठाने के लिए मंथन कर रही है।
बीजेपी ने कहा है कि अगर गठबंधन को लगता है कि राहुल गांधी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं तो उन्हें यह बदलाव जरूर करना चाहिए।
शुक्रवार को नई दिल्ली लोकसभा सीट से भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने कहा कि विपक्षी दलों के अंदर कई सक्षम नेता हैं जो विपक्ष के नेता की भूमिका निभा सकते हैं।
हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि यह फैसला गठबंधन को ही लेना चाहिए क्योंकि यह इंडिया ब्लॉक का आंतरिक मामला है।
बीजेपी के दावे के बारे में INDIA अलायंस ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। विशेषज्ञों के मुताबिक कम से कम 10 प्रतिशत सीटों के साथ सबसे बड़े विपक्षी दल के सांसद को ही नेता प्रतिपक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
सदन में कांग्रेस के सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने की वजह से राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया है।
लोकसभा में विपक्ष के नेता के पद को रोटेशनल बनाने की संभावना के बारे में विपक्षी दलों के बीच चर्चा के बारे में पूछे जाने पर भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने यह टिप्पणी की है।
विपक्षी दलों में ऐसे कई सक्षम नेता- बांसुरी स्वराज
बांसुरी स्वराज ने पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “हां, बिल्कुल। मैंने भी सुना है कि ऐसी बात चल रही है कि नेता प्रतिपक्ष के पद को रोटेशनल करने की बात चल रही है। लेकिन मैं विनम्रता से कहूंगी कि यह विपक्ष का अंदरूनी मामला है।” बांसुरी स्वराज ने कहा कि विपक्ष में कई सक्षम नेता हैं। उन्होंने कहा, “विपक्षी दलों में ऐसे कई नेता हैं जो नेता प्रतिपक्ष का कार्यभार संभालने में काफी सक्षम हैं। अगर इंडी अलायंस को लगता ये है कि माननीय राहुल गांधी पूरी कर्तव्य निष्ठा से अपना पदभार नहीं संभाल पा रहे हैं तो ये निर्णय उन्हें लेना है।”
सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के सांसद को ही मिलता है पद
हालांकि पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा है कि सदन में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के सांसद को ही विपक्ष का नेता नियुक्त किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी विशेष रूप से उस व्यक्ति को चुनती है जिसे वह विपक्ष का नेता नियुक्त करना चाहती है।
उन्होंने पीटीआई से कहा, “इसमें न तो सरकार और न ही स्पीकर की कोई भूमिका है।”
आचार्य ने आगे कहा कि स्पीकर किसी व्यक्ति को लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में तभी मान्यता देते हैं जब उसका नाम सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी द्वारा आगे बढ़ाया जाता है।