प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
हिंदू धर्म में दशहरा का बहुत अधिक महत्व होता है।
असत्य पर सत्य की जीत के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है। इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था।
दशहरा के दिन भगवान श्री राम की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। दशहरा को विजयदशमी भी कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, दशहरा को हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
12 अक्टूबर को दोपहर में दशमी तिथि के साथ श्रवण नक्षत्र प्राप्त होने से विजयादशमी (दशहरा) पर्व का पूजन भी होगा।
दशहरा एक अबूझ मुहूर्त है यानि इसमें बिना मुहूर्त देखे शुभ कार्य किए जा सकते हैं। दशहरे के दिन शस्त्र पूजा की भी मान्यता है।
कहा जाता है कि इस दिन जो कार्य आरम्भ किया जाता है, उसमें विजय प्राप्त होती है।
दशहरा पर्व दस प्रकार के पाप- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सप्रेरणा प्रदान करता है। विजयादशमी के दिन भगवान श्रीराम का विधिवत् पूजन करना चाहिए।
इस मंत्र का करें जाप
ॐ दशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्
दशहरा पूजन शमी-अपराजिता पूजन शुभ मुहूर्त: 12 अक्टूबर शनिवार को सर्वार्थसिद्धि योग, अभिजीत मुहूर्त, श्रवण नक्षत्र, धृति योग में दोपहर 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 28 तक होगा।
श्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – अक्टूबर 12, 2024 को 05:25 ए एम बजे
श्रवण नक्षत्र समाप्त – अक्टूबर 13, 2024 को 04:27 ए एम बजे
आयुध पूजा विजय मुहूर्त – 02:03 पी एम से 02:49 पी एम
अवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्स
विजय मुहूर्त – 02:03 पी एम से 02:49 पी एम
अवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्स
अपराह्न पूजा का समय – 01:17 पी एम से 03:35 पी एम
अवधि – 02 घण्टे 19 मिनट्स
रावण दहन शुभ मुहूर्त शाम 05:53 बजे से शाम 07:27 बजे तक रहेगा।
दशहरा पूजा विधि-
1. दशहरा की पूजा हमेशा अभिजीत, विजयी और अपराह्न काल में की जाती है।
2. अपने घर के ईशान कोण में दशहरा पूजन करें।
3. पूजा स्थल को गंगा जल से पवित्र करें।
4. कमल की पंखुड़ियों से अष्टदल बनाएं इसके बाद देवी अपराजिता से सुख-समृद्धि की कामना करें।
5. अब भगवान राम और हनुमान जी की पूजा करें।
6. अंत में माता की आरती करें और भोग का प्रसाद वितरित करें।