प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
नवरात्रि के नौ दिनों के पर्व के बाद दशहरा का पर्व इस साल 12 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।
बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। वहीं महिषासुर का वध मां दुर्गा ने इसी दिन किया था। इसलिए इसे विजयदशमी कहा जाता है।
इस दिन देशभर में रावण, कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन कियाजाता है।इस दिन सुबह उठकर स्नान कर सबसे पहले विजय मुहूर्त में शस्त्र पूजा की जाती है।
इस दिन शमी की पूजा करने का भी विधान है। सबसे पहले गंगाजल अर्पित करें और तिलक कर पेड़ के नीचे दीपक जलाएं। इससे शनि दोषों से छुटकारा मिलता है।
इस दिन भगवान राम को मीठे का भोग लगाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान राम ने रावण दहन के बाद शमी के पेड़ का पूजन करना चाहिए।
ऐसा कहा जाता है कि शमी के पेड़ में अमंगल को भी मंगल करने की क्षमता है। अधिकतर राजाओ और क्षत्रियों में शमी के पड़े की पूजा की जाती थी।
इस साल दशहरा तिथि 12 अक्टूबर को शुरू हो रही है और दशमी को शाम को रावण का वध होता है, इसलिए दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
द्रिक पंचांग के अनुसार विजयलक्ष्मी का पर्व 12 अक्टूबर को है। अगर इस दिन नवमी पूजन करना है, तो सुबह 05:06 से 06:20 के बीच कर लें। जो लोग रात्रि की पूजा करना चाहते हैं, वो अमृत काल में 06:28 से 08:15 के बीच पूजा कर सकते हैं।
इस दिन पितरों के लिए दान करना भी उत्तम माना जाता है। वहीं दशहरे पर शाम को चौमुखा दीपक दरवाजे पर जलाना चाहिए।
(इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।)