नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की होती है पूजा, नोट कर लें मंत्र,भोग,प्रिय रंग व आरती…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

 शारदीय नवरात्रि का आज नौवां दिन है।

यह दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित माना जाता है। मां सिद्धिदात्री देवी दुर्गा का नौवां स्वरूप मानी जाती है।

धार्मिक मान्यता है कि सिद्धिदात्री माता की पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियां और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

सिद्धिदात्री मां की पूजा-अर्चना से माता रानी प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है और हर क्षेत्र में सफलता का आशीर्वाद देती हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने मां सिद्धीदात्री की कृपा से ही 8 सिद्धियों को प्राप्त किया था।

इन 8 सिद्धियों का नाम अणिमा,महिमा,गरिमा,लघिमा,प्राप्ति, प्राकाम्य,ईशित्व और वशित्व है। मान्यतानुसार देवी सिद्धिदात्री की पूजा करने से अष्ट सिद्धि और नव निधि, बुद्धि-विवेक की प्राप्ति होती है।

आइए जानते हैं नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धीदात्री की पूजाविधि, मंत्र,भोग, प्रिय रंग और आरती…

मां सिद्धिदात्री की पूजाविधि

नवरात्रि के नौवें दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद साफ वस्त्र धारण करें। देवी दुर्गा की पूजा-आराधना आरंभ करें। मंदिर से बासी फूलों को हटाकर मंदिर साफ करें। माता रानी के समक्ष दीपक प्रज्ज्वलित करें। नौवें दिन सिद्धिदात्री मां को कमल का फूल अर्पित करें। मां को लाल वस्त्र या चुनरी चढ़ाएं। मां सिद्धिदात्री के बीज मंत्रों का जाप करें। इस दिन देवी भगवती को नारियल,हलवा, पूड़ी, चना इत्यादि का भोग लगा सकते हैं। इसके बाद सभी देवी-देवताओं के साथ माता रानी की आरती उतारें। दुर्गा चालीसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। नवमी तुथि को मां दुर्गा की पूजा-अर्चना के साथ हवन और कन्या पूजन के कार्य भी शुभ माने जाते हैं।

मां सिद्धिदात्री का प्रिय रंग : मां सिद्धिदात्री को सफेद औऱ बैंगनी रंग अति प्रिय है। इस दिन पूजा के दौरान सफेद या बैंगनी वस्त्र धारण कर सकते हैं।

मां सिद्धिदात्री की आरती :

जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।

तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे।

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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