हरियाणा विधानसभा चुनाव में लगे झटके को जहां कांग्रेस स्वीकार नहीं कर पा रही है तो उसकी जीत की भविष्यवाणी करने वाले विश्लेषक भी मंथन में जुटे हैं कि जनता का मूड भांपने में कहां गलती हो गई।
इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी हरियाणा चुनाव के अलग-अलग फैक्टर पर अपनी राय खुलकर जाहिर की है।
‘लाइव हिन्दुस्तान’ से खास बातचीत में सत्यपाल मलिक ने ईवीएम, जाट, किसान, कांग्रेस की हार और भाजपा की जीत की वजहों से जुड़े हर सवाल का जवाब दिया है।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के नतीजे आए हैं। आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या है?
जम्मू-कश्मीर में तो वैसे ही नतीजे आए हैं जैसा कि उम्मीद थी, हरियाणा के नतीजे उम्मीद से विपरीत है।
कांग्रेस पार्टी एक बार फिर ईवीएम से छेड़छाड़ की आशंका जाहिर कर रही है, नतीजों को स्वीकार नहीं कर पा रही है। आपको क्या लगता है कांग्रेस की अपनी खामियां हैं या कुछ और?
मैं तो कांग्रेस की अपनी खामियां ही मानूंगा। कांग्रेस में एकता नहीं थी। आखिरी दिन तक दिखता रहा कि कांग्रेस बंटी हुई है।
कांग्रेसी लोग मेहनत नहीं करते हैं, बीजेपी के लोग 24 घंटे राजनीति करते हैं। फिर उनके अनुषांगिक संगठन हैं। उनके मुकाबले ये लोग कम मेहनत करते हैं।
क्या लगता है आपको भूपिंदर सिंह हुड्डा इस हार के लिए जिम्मेदार हैं या राहुल गांधी?
कोई इंडिविजुअल जिम्मेदार नहीं है। राहुल गांधी तो कतई जिम्मेदार नहीं हैं, भूपिंदर हुड्डा भी जिम्मेदार नहीं हैं।
जिस तरह दलित नेता कुमारी शैलजा खुद को आगे लाने की मांग कर रही थीं, क्या उनको आगे लाने से नतीजा कुछ और हो सकता था?
नहीं, उनको लाने से भी कुछ नहीं होता। होना यह चाहिए था कि शैलजा और हुड्डा को एकजुट करके चुनाव में जाना चाहिए था। आखिरी दिन तक लगता रहा कि दो पाटियां हैं।
हरियाणा किसान आंदोलन का केंद्र रहा, दो साल पहले यहां इतना उग्र आंदोलन हुआ। लेकिन भाजपा पहले से अधिक सीटें लेकर जीत गई, आप क्या कहेंगे?
मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता, लेकिन यह समझ के बाहर है, कैसे हुआ।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की जमानत जब्त हो गई?
उनको लड़ना ही नहीं चाहिए था। किसान नेता जब लड़ते हैं, यूनियन के लोग, लोग उन्हें वोट नहीं देते हैं।
किसान आंदोलन के बाद भी अगर इस तरह के नतीजे आए हैं तो आप क्या भविष्य देखते हैं किसान आंदोलन का?
किसान आंदोलन का वोट से कोई ताल्लुक नहीं। किसान आंदोलन किसान आंदोलन है। असल में जो ये पार्टियां हैं… खास तौर पर कांग्रेस, बीजेपी में तो 50 अनुषांगिक संगठन हैं, 24 घंटे बीजेपी के लोग राजनीति करते हैं। कांग्रेस के लोग राजनीति नहीं करते, संघर्ष नहीं करते। सड़कों पर नहीं रहते। कहीं दिखते नहीं हैं लड़ते हुए। उनको संघर्ष करना चाहिए।
आप खुद कहते हैं कि जाट 300 सालों तक बदला नहीं भूलते। दूसरी तरफ विश्लेषक कहते हैं कि हरियाणा में गैर जाट एकजुट हो गए और इसकी वजह से भाजपा को फायदा हुआ। आपको क्या लगता है जाट किधर गए?
नहीं, हरियाणा में जाट-गैरजाट नहीं था। इतना जरूर है कि शैलजा कि वजह से दलित वोट कांग्रेस को नहीं मिला। पिछड़ा वोट भी बैकवर्ड सीएम की वजह से उन्हें मिल गया।