प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।
इस दिन कई जातक कन्या पूजन व हवन भी करते हैं। अष्टमी तिथि के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा की जाती है।
मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां की आराधना करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं शारदीय नवरात्रि की अष्टमी की तिथि, मुहूर्त, पूजाविधि व महत्व-
नवरात्रि अष्टमी महत्व
मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि की अष्टमी तिथि विशेष रूप से फलदायी मानी जाती हैं। अष्टमी के दिन ही माता दुर्गा ने चंड-मुंड नामक दैत्यों का वध किया था।
वहीं, अगर आपने 9 दोनों का व्रत नहीं रखा है तो अष्टमी पर व्रत रख सकते हैं। अष्टमी के दिन व्रत रखने और माता की आराधना करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
अष्टमी पूजा-विधि
1- सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें।
2- दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
3- मैया को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।
4- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक कर फल, फूल और तिलक लगाएं।
5- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
6- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
7- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
8 – फिर पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रख माता की आरती करें।
9 – अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
कब है शारदीय नवरात्रि की अष्टमी?
इससालशारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है।
पंचांग के अनुसार, 10 अक्टूबर को दोपहर में 12:31 बजे से अष्टमी तिथि लग रही है, जो 11 अक्टूबर के दिन दोपहर 12:06 बजे तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि की मानें तो 11 अक्टूबर के दिन अष्टमी तिथि रहेगी।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।