गाजा में इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग को एक साल पूरा हो गया है।
इस कत्लेआम में दोनों ओर से हजारों की मौत हो गई। गाजा में सबसे ज्यादा कम से कम 44 हजार लोग मारे गए। मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।
गाजा में भीषण नरसंहार पर यूनिसेफ प्रमुख ने गंभीर चिंता जाहिर की। उन्होंने चेतावनी दी कि संघर्ष के कारण वहां के बच्चों को “पीढ़ी दर पीढ़ी चुनौतियों” का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि अगर हम गाजा को एक बच्चे की नजर से देखें तो हम कितनी मदद क्यों न कर लें यह उनके लिए एक नरक जैसा दृश्य है। वहां जो कुछ हो रहा है, बच्चे सदमे हैं।
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने रविवार को सीबीएस न्यूज के “फेस द नेशन” प्रोग्राम में कहा, “अगर आप गाजा को वास्तव में एक बच्चे की नजर से देखते हैं, तो यह एक नरक का दृश्य है। वहां भोजन और साफ़ पानी की कमी है।
बच्चे भी उम्मीद छोड़ रहे हैं।
रसेल ने बच्चों के बारे में कहा, “जो कुछ हो रहा है उससे वे बहुत सदमे में हैं।” “भले ही हम वहां अधिक से अधिक मदद पहुंचा रहे हो, लेकिन इन बच्चों को जो आघात झेलना पड़ रहा है, वह उनके लिए जीवन भर और यहां तक कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी चुनौतियों का सामना करने वाला है।”
7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुई लड़ाई में पहले हमास के लड़ाकों ने 1200 इजरायली नागरिकों की हत्या कर दी और इजरायल के लगभग 250 को बंधक बना लिया। इसके जवाब में इजरायली सेना गाजा में कहर बनकर टूट पड़ी है। गाजा शहर श्मशान घाट बन चुका है।
हजारों लाशें बिछ चुकी हैं। लाखों लोग पलायन कर चुके हैं। मरने वालों का आधिकारिक आंकड़ा 44 हजार पार कर गया है। इतना रक्तपात होने के बावजूद जंग थमी नहीं है। इजरायली सेना की ओर से गाजा में लड़ाई जारी है।
रसेल ने कहा कि गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाना “बहुत खतरनाक” है। हालांकि, उन्होंने क्षेत्र में हजारों बच्चों को पोलियो की खुराक पहुंचाने को बड़ी सफलता जरूर कहा।
लेबनान में ईरान समर्थित समूह हिजबुल्लाह को निशाना बनाने वाले इजरायल के नवीनतम सैन्य अभियानों पर यूनिसेफ चीफ ने कहा कि “हमले की गति चौंकाने वाली है। वहां लगभग 1 मिलियन विस्थापित लोगों तक पहुंचना हमारे लिए चुनौतीपूर्ण है”।