हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में इस बार विधानसभा चुनाव के नतीजे 8 अक्टूबर को घोषित होने वाले हैं, लेकिन उससे पहले लोगों की नजरें एग्जिट पोल पर टिकी हुई हैं।
दोनों ही राज्यों में एग्जिट पोल ने क्या संभावनाएं जताई हैं और क्या ये नतीजों के करीब पहुंचेंगे, इस पर सबकी उत्सुकता बनी हुई है।
हरियाणा में भाजपा अपनी तीसरी बार सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस दस साल बाद सत्ता में लौटने की उम्मीद कर रही है।
वहीं जम्मू-कश्मीर में एक दशक बाद विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, जोकि राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माने जा रहे हैं।
क्या कहते हैं हरियाणा के आंकड़ा
पिछले चुनावों में एग्जिट पोल का प्रदर्शन कभी सटीक रहा है, तो कभी वास्तविक नतीजों से काफी अलग भी रहा है।
2014 के हरियाणा चुनावों में भाजपा ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की थी और अधिकांश एग्जिट पोल ने उनकी जीत का सही-सही अनुमान लगाया था।
इंडिया टीवी-सी वोटर, एबीपी न्यूज-नीलसन, टाइम्स नाउ और न्यूज 24-चाणक्य ने भाजपा के लिए 37 से 52 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की थी, जो लगभग सटीक निकली थी।
हालांकि, 2019 में कहानी थोड़ी अलग रही। भाजपा को 40 सीटों पर संतोष करना पड़ा, जो पिछली बार से 7 सीट कम थीं। इस बार एग्जिट पोल ने भाजपा के लिए 51 से 78 सीटों का अनुमान लगाया था।
भाजपा ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और सात निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। इस गठबंधन के बाद भाजपा के मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने, जबकि जेजेपी के दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री पद मिला।
जम्मू-कश्मीर के लिए कितना सटीक रहा एग्जिट पोल
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का एक दशक बाद होना बेहद खास है। इस बार तीन चरणों में 18 सितंबर से 1 अक्टूबर तक वोटिंग हुई और करीब 63.45 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा रहा।
2014 के विधानसभा चुनाव भी पांच चरणों में हुए थे जिसमें पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
पीडीपी ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा 25 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही थी।
2014 के चुनावों में किए गए एग्जिट पोल्स की बात करें तो पीडीपी के लिए 32-38 सीटों का अनुमान था, जबकि भाजपा के लिए 27-33 सीटों का। नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए 8-14 सीटों और कांग्रेस के लिए 4-10 सीटों का अनुमान था। इस तरह वास्तविक परिणाम एग्जिट पोल के काफी करीब रहे थे।