केंद्र सरकार अग्निवीर योजना को बेहतर बनाने के उपायों पर विचार कर रही है।
इस सिलसिले में रक्षा मंत्रालय ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों से पूछा है कि क्या वह 25 फीसदी से ज्यादा अग्निवीरों को स्थाई कर पाने में सक्षम हैं? तीनों सेनाओं के प्रमुख जल्द इस बारे में सरकार को अपनी राय सौंप सकते हैं।
सूत्रों का कहना है कि कोरोना काल में सेनाओं में भर्ती नहीं होने के कारण तीनों सेनाओं में जवानों के पद रिक्त हैं इसलिए आने वाले दिनों में 25 फीसदी से ज्यादा अग्निवीरों को स्थायी किए जाने के मौके मिल सकते हैं।
हालांकि तीनों सेनाओं के भीतर इस मामले पर अभी गहन परामर्श की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन यदि रिक्तियों के आधार पर अग्निवीरों का स्थायीकरण होता है तो ज्यादा अग्निवीरों का स्थाई होना तय माना जा रहा है।
वायुसेना प्रमुख एपी सिंह से इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि सरकार ने तीनों सेनाओं से इस बारे में पूछा है। इस पर परामर्श चल रहा है तथा हम अपनी राय सरकार को जल्द सौंपेंगे।
केंद्र सरकार ने 2022 में अग्निपथ योजना की शुरुआत की थी जिसके तहत तीनों सेनाओं में चार साल के लिए अग्निवीरों की भर्ती की योजना आरंभ की गई थी।
योजना के तहत चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर अधिकतम 25 फीसदी तक अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा। इसके लिए उन्हें अलग से एक टेस्ट पास करना होगा।
तब से तीनों सेनाओं में अग्निवीरों की लगातार भर्ती हो रही है। अब तक 50 हजार से ज्यादा अग्निवीर तीनों सेनाओं में भर्ती हो चुके हैं।
योजना को लेकर विपक्ष लगातार सरकार को निशाना बना रहा है। इसलिए सरकार पर भी इस योजना में सुधार का दबाव है। इस बीच सेना ने इस मुद्दे पर तीनों सेनाओं के साथ परामर्श भी शुरू किया है।
चूंकि अग्निवीरों का पहला बैच 2026 में कार्यमुक्त होगा, इसलिए सरकार के पास अग्निवीरों के स्थाईकरण की नीति में बदलाव के लिए पर्याप्त समय है।