प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
नवरात्रि के पावन पर्व का अंतिम दिन महानवमी होता है।
नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है।
मां सिद्धिदात्री भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं। शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है।
मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया है। मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी मानते हैं। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है।
11 अक्टूबर को महानवमी है-
इस बार 11 अक्टूबर को महानवमी का व्रत होगा। विभिन्न पंचांगों के अनुसार इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि तथा नवमी तिथि का क्षय होने पर भी पूरा पक्ष 15 और नवरात्र नौ दिनों की होगी।
भक्तजन नौ दिन पाठ करेंगे। परंतु, 10 अक्टूबर को आतर है। 11 अक्टूबर को महाअष्टमी और नवमी की पूजा होगी। शास्त्रों के अनुसार सप्तमी और अष्टमी मिला रहने पर महाअष्टमी का व्रत निषेध माना गया है।
10 को सप्तमी और अष्टमी दोनों है। इसलिए श्रद्धालु अष्टमी की पूजा न कर सिर्फ सप्तमी की पूजा करेंगे। अष्टमी तिथि का शुभारंभ 10 को दोपहर 12:32 से होगा, जो 11 अक्टूबर को 12:07 तक रहेगी। नवमी 11 अक्तूबर को 12:08 पर लग जाएगी।
12 अक्टूबर को प्रातः 10:58 तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि का शुभारम्भ होगा। अतः 11 अक्टूबर को ही अष्टमी और नवमी मनाई जाएगी।
पूजा-विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
मां की आरती अवश्य करें।
पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट
लाल चुनरी
लाल वस्त्र
मौली
श्रृंगार का सामान
दीपक
घी/ तेल
धूप
नारियल
साफ चावल
कुमकुम
फूल
देवी की प्रतिमा या फोटो
पान
सुपारी
लौंग
इलायची
बताशे या मिसरी
कपूर
फल-मिठाई
कलावा