दो हफ्तों में दूसरी बार कल्याण बोर्ड का कदम, चुनाव से पहले शिंदे सरकार जैन समुदाय पर क्यों दिखा रही है मेहरबानी…

महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने शुक्रवार को एक सप्ताह के भीतर हुई अपने मंत्रिमंडल की दूसरी बैठक में राज्य के जैन समुदाय के लिए आर्थिक कल्याण बोर्ड बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।

इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल बारी, तेली, हिंदू खटीक, लोनारी जैसे समुदायों के लिए भी वित्तीय विकास निगम स्थापित करने का निर्णय लिया गया है, जबकि बौद्ध समुदाय से संबंधित सांस्कृतिक और शैक्षणिक संस्थानों को 10 लाख रुपये तक का अनुदान देने का फैसला लिया है।

दो हफ्ते के अंदर शिंदे सरकार ने दूसरी बार कल्याण बोर्ड का दाव चला है। इससे पहले 23 सितंबर को शिंदे कैबिनेट ने क्षत्रिय और ब्राह्मण कल्याण बोर्ड को मंजूरी दी थी।

2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र की कुल आबादी में 1.25% आबादी जैन समुदाय की है। यह देश में सबसे ज्यादा है। राज्य में 14 लाख जैनियों की आबादी है। इसके बाद दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक का नंबर आता है।

देश की आर्थिक नगरी मुंबई की कुल आबादी का चार फीसदी सिर्फ जैन समुदाय से आती हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शिंदे सरकार ने विधानसभा चुनावों से ऐन पहले इस समुदाय को खुश करने की कोशिश क्यों है?

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में गावठाणों के बाहर आवासीय भवनों, व्यावसायिक और औद्योगिक उपयोग के भवनों आदि पर गैर-कृषि कर माफ करने का निर्णय लिया गया।

गावठाण का अर्थ है, गांव के मध्य का क्षेत्र। इस क्षेत्र में गांव के लोगों के घर, दुकानें, मंदिर, स्कूल आदि हैं।

शिंदे कैबिनेट ने प्राचीन और ऐतिहासिक स्थानों को तबाह करने वालों को दी जाने वाली कैद की सजा और जुर्माने की राशि को बढ़ाने के पर्यटन विभाग के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।

कैबिनेट में पारित हुए प्रस्ताव के अनुसार, जेल की अवधि दो साल तक बढ़ाई जा सकती है और जुर्माना 1 लाख रुपये होगा।

वर्तमान में, जेल की अवधि तीन महीने तक है, जबकि जुर्माना राशि 5,000 रुपये है। जुर्माना राशि में 1960 के बाद से संशोधन नहीं किया गया था।

शिंदे सरकार के अन्य फैसलों में 104 आईटीआई का नाम बदलना, खिलाड़ियों के लिए पुरस्कार राशि में बढ़ोत्तरी, कोंकण और पुणे डिवीजनों को राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल की एक-एक कंपनी आवंटित करना शामिल है, जो क्रमशः नवी मुंबई और दौंड में तैनात की जाएगी।

अधिकारियों ने बताया कि प्रत्येक कंपनी में चार टीमें होंगी, साथ ही 428 पदों को मंजूरी दी गई है, जिस पर 37 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।

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