प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
नवरात्रि का पावन पर्व देशभर में मनाया जा रहा है।
नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि का तीसरे दिन मां के तीसरे स्वरूप माता चंद्रघंटा की पूजा- अर्चना की जाती है।
नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की उपासना की जाती है। मां के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्द्ध चंद्रमा विराजमान है, इसीलिए मां का नाम चंद्रघंटा पड़ा।
देवी पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव जब विवाह करने आए तो मां पार्वती ने देवी चंद्रघंटा का रूप धारण कर विवाह किया। मां की उपासना से अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है।
मां चन्द्रघंटा की उपासना से आध्यात्मिक शक्ति मिलती है। मां को शक्ति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। माता चंद्रघंटा का वाहन सिंह है।
मां हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहने वाली मुद्रा में होती हैं। मां की आराधना से निर्भयता के साथ सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है।
मां की कृपा से साधक को आलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं।
इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए। मां की आराधना से वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता, विनम्रता का विकास होता है।
मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का संहार किया। मां का स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। मां चंद्रघंटा की कृपा से समस्त बाधाएं दूर हो जाती हैं।
मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक पराक्रमी व निर्भय हो जाता है। मां चंद्रघंटा की उपासना से मनुष्य समस्त सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाता है।
मां की उपासना में दूध की प्रधानता होनी चाहिए। मां को दूध या खीर का भोग लगाएं। माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।
मां को सिंदूर अर्पित करने की परंपरा है। मां चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए सुनहरे रंग के कपड़े धारण करने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए सुनहरे रंग के कपड़े पहनना शुभ है।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप बेहद सुंदर, मोहक, आलौकिक शांतिदायक और कल्याणकारी है। मां चंद्रघंटा अपने भक्तों को आलौकिक सुख प्रदान करने वाली हैं।
(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।)