अशोक तंवर हिसार से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वह हरियाणा कांग्रेस के भी अध्यक्ष रह चुके हैं।
अक्तूबर 2019 में उन्होंने हुड्डा से कथित मनमुटाव की वजह से कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
हरियाणा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भाजपा का करारा झटका लगा है। वोटिंग से ठीक दो दिन पहले पूर्व सांसद और दलित नेता अशोक तंवर ने कांग्रेस में वापसी कर ली है।
महेंद्रगढ़ की चुनावी रैली में राहुल गांधी की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी में वापसी की। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी मौजूद थे।
बड़ी बात यह है कि अशोक तंवर घंटे भर पहले भाजपा प्रत्याशी के लिए वोट मांग रहे थे लेकिन कुछ ही समय बाद उनका हृदय परिवर्तन हो गया।
उनकी घर वापसी पर कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा, “कांग्रेस ने लगातार शोषितों, वंचितों के हक़ की आवाज़ उठाई है और संविधान की रक्षा के लिए पूरी ईमानदारी से लड़ाई लड़ी है।
हमारे इस संघर्ष और समर्पण से प्रभावित होकर आज BJP के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद, हरियाणा में BJP की कैंपेन कमेटी के सदस्य और स्टार प्रचारक अशोक तंवर (@Tanwar_Indian) कांग्रेस में शामिल हो गए।
दलितों के हक़ की लड़ाई को आपके आने से और मज़बूती मिलेगी। कांग्रेस परिवार में आपका पुनः स्वागत है, भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
बता दें कि अशोक तंवर हिसार से लोकसभा सांसद रह चुके हैं। वह हरियाणा कांग्रेस के भी अध्यक्ष रह चुके हैं। अक्तूबर 2019 में उन्होंने हुड्डा से कथित मनमुटाव की वजह से कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
इसके बाद वह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे। जब आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बातें होने लगी तब उन्होंने जनवरी 2024 में आप का भी साथ छोड़ दिया और भाजपा में शामिल हो गए थे।
उन्हें खुद मनोहर लाल खट्टर ने पार्टी में शामिल करवाया था। अशोक तंवर हरियाणा में भाजपा चुनाव अभियान समिति के सदस्य और प्रमुख प्रचारकों में शामिल थे।
अशोक तंवर को तेज तर्रार नेताओं के रूप में गिना जाता है। एक समय ऐसा भी था जब वह राहुल गांधी के करीबियों में शामिल थे। 2014 में राहुल गांधी ने ही उन्हें हरियाणा कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया था।
इससे पहले वह कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और यूथ कांग्रेस के प्रभारी भी रह चुके हैं। 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ हुए मतभेद के बाद तंवर ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
अब उन्हें पार्टी में फिर से शामिल कराकर कांग्रेस ने दलित वोट बैंक को साधने की कोशिश की है।