प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
आज शारदीय नवरात्रि की द्वितीया तिथि है।
इस दिन नवदुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा जाती है। ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी को कठोर तप और ब्रह्म में लीन रहने के कारण ब्रह्मचारिणी कहा गया है।
मान्यता है कि ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करने से व्यक्ति की बुद्धि और विद्या की प्राप्ति होती है। मन शांत होता है और चित एकाग्र रहता है।
कहा जाता है कि ब्रह्मचारिणी माता की पूजा करने से साधक अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण कर पाता है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की विधिवत पूजा,मंत्रों का जाप और उनकी प्रिय चीजों को भोग लगाने से मां प्रसन्न होती है और अपने भक्तों को धन, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
आइए जानते हैं ब्रह्मचारिणी माता की सरल पूजाविधि, पूजा सामग्री लिस्ट और मां ब्रह्मचारिणी स्तोत्र…
पूजा सामग्री लिस्ट: नवदुर्गा की प्रतिमा, लाल या पीला कपड़ा, अगर बत्ती, दीपक, घी या तेल, सफेद या पीले फूल, मिठाई, अक्षत, रोली,चंदन, जल से भरा कलश, नारियल, पूजा की थाली समेत सभी पूजन सामग्री एकत्रित कर लें।
मां ब्रह्मचारिणी की सरल पूजाविधि :
सुबह सूर्योदय से पूर्व उठें। स्नानादि के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें।
नवदुर्गा का ध्यान करें और देवी भगवती को पंचामृत से स्नान कराएं।
मां को फल,सफेद फूल,धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
इसके बाद मां को चीनी का भोग लगाएं।
घी में कपूर मिलाकर माता रानी की आरती उतारें।
उनके सरल श्लोक व स्तोत्र का पाठ करें।
इसके बाद घर के सदस्यों की बीच प्रसाद वितरित करें।
ब्रह्मचारिणी स्तोत्र- ब्रह्मचारिणी माता की पूजा के दौरान स्तोत्र का पाठ करना अथि शुभ माना गया है। मान्यता है कि ब्रह्मचारिणी देवी के स्तोत्र का पाठ करने से हर तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती हैं और मन को शांति मिलती है। ज्ञान की प्राप्ति होती है। सभी कार्यों के मनचाहे परिणाम मिलते हैं।
स्तोत्र :
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥