शैलपुत्री मां बैल पर सवार,करें देवता जय जयकार…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

शारदीय नवरात्रि शुरू हो गए हैं।

आज नवरात्रि का पहला दिन है। मां शैलपुत्री नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं। इसलिए नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को मां शैलपुत्री कि विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है।

मां शैलुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। शैल का अर्थ हिमालय और पर्वतराज के यहां जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है।

मां शैलपुत्री बेहद सरल और शांत स्वभाव की हैं। मां शैलपुत्री एक हाथ में त्रिशूल,दूसरे हाथ में कमल लेकर नंदी बैल पर सवार होकर संपूर्ण हिमालय पर विराजमान हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां शैलपुत्री ने घोर तपस्या करके भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया था। कहा जाता है कि नवरात्रि के पहले मां शैलपुत्री की सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर मां अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और धन, सुख-समृद्धि और आरोग्यता का वरदान देती हैं।

इस दिन मां शैलपुत्री की षोड्शोपचार विधि से पूजा करने के साथ माता की आरती भी जरूर उतारें। यहां पढ़ें मां शैलपुत्री की आरती…

मां शैलपुत्री की आरती :

शैलपुत्री मां बैल पर सवार। 

करें देवता जय जयकार।

शिव शंकर की प्रिय भवानी। 

तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

पार्वती तू उमा कहलावे। 

जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।

ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू। 

दया करे धनवान करे तू।

सोमवार को शिव संग प्यारी। 

आरती तेरी जिसने उतारी।

उसकी सगरी आस पुजा दो। 

सगरे दुख तकलीफ मिला दो।

घी का सुंदर दीप जला के। 

गोला गरी का भोग लगा के।

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं। 

प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं।

जय गिरिराज किशोरी अंबे। 

शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे।

मनोकामना पूर्ण कर दो। 

भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

जय मां शैलपुत्री की, जय माता दी

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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