आरोपियों के घरों पर बुलडोजर कार्रवाई से सुप्रीम कोर्ट पहले ही इनकार कर चुका है।
अब खबर है कि शीर्ष न्यायालय जल्द ही बुलडोजर ऐक्शन को लेकर दिशानिर्देश तैयार कर रहा है, जो पूरे देश में सभी समुदायों पर लागू होंगे।
मंगलवार को ही अदालत में इसे लेकर सुनवाई हुई थी। एपेक्स कोर्ट का कहना है कि सिर्फ अपराध की वजह से संपत्ति को नहीं ढहाया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है दिशानिर्देशों में सरकारी अधिकारियों पर अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की पूरी छूट होगी। साथ ही यह बगैर किसी पूर्व सूचना के भी किया जा सकेगा।
खबर है कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान ने भी माना है कि अपराध में शामिल होना इस ऐक्शन की वजह नहीं हो सकता।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि दिशानिर्देश यह सुनिश्चित करेंगे कि आदेश से अतिक्रमण करने वालों को फायदा नहीं होगा। साथ ही यह कार्रवाई करने वाले अधिकारियों के काम में बाधा नहीं डालेगा।
कोर्ट ने बीच सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर मौजूद धार्मिक स्थलों को भी हटाना जरूरी है, क्योंकि आम जनता की सुरक्षा सबसे ऊपर है।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरन एसजी तुषार मेहता का कहना था कि बुलडोजर ऐक्शन अपराध के आधार पर नहीं होना चाहिए। साथ ही इसका उपयोग सिर्फ म्युनिसिपल कानूनों के तहत हो।
उन्होंने कहा कि घर पर नोटिस चस्पा करने की प्रक्रिया खत्म होनी चाहिए और नोटिस रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए पहुंचाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अगर अदालत की तरफ से किसी तरह की पाबंदी लगाई गई, तो इसका गलत इस्तेमाल रियल एस्टेट बिल्डर और कानून तोड़ने वाले कर सकते हैं।
कोर्ट ने साफ किया है कि इमारत ढहाने की प्रक्रिया सिर्फ इसलिए नहीं होनी चाहिए कि कोई व्यक्ति दोषी हो या आरोपी हो।
कोर्ट ने कहा कि संबंधित अधिकारियों को यह भी स्पष्ट करना होगा कि भवन ढहाना ही एकमात्र उपाय क्यों था और कहा कि व्यक्ति को उचित स्थान पर शिकायत दर्ज कराने का भी मौका मिले।