तिरुपति लड्डू विवाद पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी अलग-अलग मतलब निकालती नजर आई हैं।
साथ ही, दोनों दल अपने रुख पर कायम हैं। मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के प्रति नाराजगी जताई।
उसने पूछा कि सीएम ने जांच रिपोर्ट का इंतजार किए बिना ही इस मामले को सार्वजनिक क्यों कर दिया।
दरअसल, नायडू ने आरोप लगाया है कि वाईएसआरसीपी शासन के दौरान तिरुपति के लड्डुओं में जानवरों की चर्बी वाला घी मिलाया गया था। उन्होंने अपने दावे के समर्थन में प्रयोगशाला की रिपोर्ट भी पेश की।
जस्टिस के वी विश्वनाथन ने पूछा, ‘रिपोर्ट तो आपको जुलाई में मिली। 18 सितंबर को आप जनता के बीच गए। आपने कहा कि जांच के आदेश दिए हैं।
रिपोर्ट से साफ है कि यह वो घी नहीं है जिसका इस्तेमाल किया गया था। जब तक आप सुनिश्चित न हों, आप उसे लेकर जनता के बीच कैसे गए?’ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम ने प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने कहा, ‘हमने इस मामले को लेकर पहले जो कुछ भी कहा है, उस पर कायम हैं। तिरुपति के लड्डू बनाने में मिलावटी घी का इस्तेमाल हुआ था।
हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं जिसमें केंद्र से पूछा गया कि क्या इसे लेकर केंद्रीय जांच की जरूरत है। ए आर डेयरी फूड प्राइवेट लिमिटेड ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) को घी के 8 टैंकरों की सप्लाई की थी।’
घी में मिलावट के दावे पर TDP कायम
टीडीपी लीडर ने कहा, ‘तिरुपति के तीर्थयात्रियों ने लड्डुओं से गंध आने की शिकायत की थी। उन्होंने इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए।
इसके बाद शेष 4 टैंकरों के सैंपल टेस्ट के लिए भेजे गए और रिपोर्ट सभी के सामने है। 319 रुपये प्रति किलो के हिसाब से ऐसा नहीं हो सकता कि पहले 4 टैंकरों में घी की गुणवत्ता शुद्ध थी और बाकी में मिलावट की गई।
एनडीडीबी हमारी ओर से भेजे गए घी के सैंपल्स को लेकर अपनी रिपोर्ट पर कायम है। अब आंध्र प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट को सभी रिपोर्ट्स सौंपने की तैयारी में है।’
‘हम भी तो मिलावट पर पूछ रहे सवाल’
बोत्सा सत्यनारायण विधान परिषद के सदस्य हैं और वाईएसआरसीपी सरकार में मंत्री थे। उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने सबसे अहम सवाल यह किया है कि तिरुपति के लड्डू में मिलावटी घी का इस्तेमाल किया गया या नहीं।
टीडीपी सरकार ने जब से ये झूठे आरोप लगाए हैं तब से हम भी तो इसी का जवाब मांग रहे हैं। हम जानना चाहते हैं कि मिलावटी घी का इस्तेमाल कहां और कब किया गया?’ उन्होंने कहा कि इसके आगे कुछ भी कहने से पहले हमें सुप्रीम कोर्ट के पूरे फैसले का इंतजार करना चाहिए।
बोत्सा ने सीएम नायडू को अपने आरोपों को साबित करने के लिए किसी तीसरे पक्ष से जांच कराने की चुनौती दी थी।