प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
सूर्य ग्रहण का बहुत अधिक ज्योतिष, धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व होता है।
धार्मिक दृष्टि से देखा जाए चाहे सूर्य ग्रहण का कारण राहु-केतु माने जाते हैं। राहु और केतु छाया ग्रहों को सांप की भांति माना गया है, जिनके डसने पर ग्रहण लगता है।
वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच से गुजरता है तो इस स्थिति में सूरज की रोशनी धरती पर नहीं पहुंच पाती है।
इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इस अमावस्या पर साल का अंतिम सूर्यग्रहण लग रहा है लेकिन सूर्यग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। बल्कि दूसरे देशों में देखा जा सकेगा। इस दौरान सूर्य कन्या राशि में विराजमान होंगे।
सूतक काल मान्य नहीं होगा
साल का दूसरा चंद्र ग्रहण दो अक्टूबर की रात में पड़ेगा। इससे 12 घंटे सूतक लग जाएंगे। मगर यह रात में लगने के कारण भारत में नजर नहीं आएगा। इसीलिए सूतक भी मान्य नहीं होंगे।
यह जानकारी देते हुए लाइनपार कैल्टन स्कूल के पास स्थित श्री हरि ज्योतिष संस्थान के ज्योतिर्विद पंडित सुरेंद्र शर्मा ने बताया सूर्य ग्रहण दो अक्टूबर को पितृपक्ष अमावस्या की रात 9 बजकर 13 मिनट को लगेगा और मध्यरात्रि में 3 बजकर 17 मिनट तक रहेगा।
साल का यह दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में तो नजर नहीं आएगा, इसलिए यहां सूतक मान्य नहीं होगा।
इन देशों में दिखेगा सूर्य ग्रहण
सूर्यग्रहण दक्षिणी अफ्रीका के उत्तरी भागों के अलावा आर्कटिक, अर्जेंटीना, ब्राजील,पेरू, फिजी, चिली, होनोलूल, ब्यूनो, आयर्स,अंटार्कटिका और दक्षिणी अमेरिका तथा प्रशांत महासागर के कुछ इलाकों में नजर आएगा।