हिजबुल्लाह लगातार इजरायल पर छोटे-छोटे हमले कर रहा था, लेकिन उसे शायद ही अंदाजा हो कि हमास के साथ ऑलआउट जंग में उलझा इजरायल दूसरी सीमा पर भी युद्ध के रास्ते खोल देगा।
दरअसल, 7 अक्तूबर की घटना के बाद इजरायल हमास पर सीधे हमला करने लगा था। हिजबुल्लाह ने हमास का सहयोग करने के लिए इजरायल पर रॉकेट और मिसाइलों से हमला करना शुरू कर दिया।
बेरूत हमले में अपनी जान गंवाने से पहले संगठन प्रमुख नसरल्लाह ने इजरायल से लड़ाई करने की एक योजना तैयार की थी।
उनकी यह योजना मुख्य रूप से यह थी कि इजरायल के हमास के विरुद्ध युद्ध में पूर्ण युद्ध से बचते हुए हमास का समर्थन करते रहना।
अपनी योजना के समर्थन में नसरल्लाह ने एक गुप्त स्थान से वीडियो संदेश भी जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि लेबनान में कुछ लोग कह रहे हैं कि हम जोखिम ले रहे हैं। लेकिन मैं आपको बता देना चाहता हूं कि यह जोखिम लाभकारी है सही योजना का हिस्सा है।
लेकिन नसरल्लाह की यह योजना उस वक्त धरी रह गई जब इजरायल ने हमास को लगभग नेस्तानाबूद करने के बाद हिजबुल्लाह की तरफ रुख कर लिया।
वह लगातार हिजबुल्लाह को चेतावनी देता रहा कि हम पर हमला करोगे तो पछताओगे लेकिन हिजबुल्लाह अपनी अजेयता के नशे में लगातार मिसाइलों और रॉकेटों से हमले करता रहा।
हिजबुल्लाह के लगातार हमलों से इजरायल पर बना दवाब
लेबनान की सीमा से हिजबुल्लाह द्वारा लगातार किए जा रहे हमलों ने इजरायली सरकार पर जबरदस्त घरेलू दवाब बनाया। अपनी उत्तरी सीमा को सुरक्षित करने के उद्देश्य से इजरायली सेना ने हिजबुल्लाह पर हमलों की झड़ी लगा दी।
इजरायली सेना की तरफ से पहले लेबनानी नागरिकों को संदेश जारी कर दूर चले जाने का आग्रह किया और फिर पूरी तरीके से हमला कर दिया गया।
पहले हवाई हमले, फिर पेजर और वॉकी-टॉकी ब्लॉस्ट ने हिजबुल्लाह की जड़े हिला दी। इजरायली हमले में हिजबुल्लाह की बुनियादी ढ़ांचा नष्ट हो गया।
यहीं नहीं पेजर ब्लास्ट के बाद हिजबुल्लाह के खेमे में इजरायली खुफिया विभाग की घुसपैठ की अफवाह भी फैल गई, जिससे समूह और कमजोर हो गया।
इजरायली सेना ने अपनी रणनीति के तहत हिजबुल्लाह की लीडरशिप पर हमला करना जारी रखा। देखते ही देखते उन्होंने पूरे संगठन में नेतृत्व शून्यता की स्थिती पैदा कर दी।
इजरायली हमलों ने हिजबुल्लाह की कमर तोड़ कर रख दी, इसका सबसे बड़ा असर यह रहा कि लेबनान के अंदर नसरल्लाह की लोकेशन पर इजरायल बमबारी करके उसे मारने में सफल रहा।
2006 से ही कम दिखता था नसरल्लाह
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक नसरल्लाह 2006 के पिछले युद्ध के बाद से ही सार्वजनिक उपस्थिति से बचता रहा था। एजेंसी के सूत्रों के अनुसार, वह लंबे समय इजरायली खुफिया विभाग से सतर्क था।
यहां तक की उससे मिलने वाले लोगों का दायरा भी काफी सीमित था। रिपोर्ट के मुताबिक नसरल्लाह की हत्या होना और हफ्तेभर से उसकी लोकेशन का पता इजरायल को होना यह साबित करता है कि हिजबुल्लाह में घुसपैठ हो चुकी थी।