प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
हर साल आश्विन महीने में जितिया का व्रत रखा जाता है। ये व्रत संतान की सलामती व अच्छी सेहत के लिए रखा जाता है।
जितिया का व्रत कठिन व्रत माना जाता है। कल, 25 सितंबर के दिन कई महिलाएं निर्जल व्रत रख अपने संतान की दीर्घायु की कामना करेंगी।
जितिया व्रत में भगवान जीमूतवाहन की विधिवत उपासना की जाती है।
मान्यताओं के अनुसार, ये व्रत भगवान जीमूतवाहन की कथा का पाठ किए बिना अधूरा माना जाता है। ऐसे में आइए पंडित जी से जानते हैं जितिया व्रत पारण का शुभ मुहूर्त व पारण की विधि-
जितिया व्रत का पारण कब होगा?
ज्योतिषाचार्य पंडित धर्मेन्द्र झा के अनुसार, 26 सितम्बर, गुरुवार को व्रत का पारण करेंगी। इसका विधिवत पारण सुबह 04 बजकर 35 मिनट से सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक किया जाएगा।
जितिया व्रत प्रमुख रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुछ हिस्सों में रखा जाता है।
जितिया व्रत पारण करने की विधि
जितिया व्रत का पारण 26 सितंबर को सूर्योदय के बाद कभी भी किया जा सकता है। गुरुवार सुबह में स्नान के बाद भगवान सूर्य की पूजा करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान जीमूतवाहन के साथ सभी देवी-देवताओं का पूजन कर व्रत का पारण किया जा सकता है। व्रत पारण के बाद यथाशक्ति दान-दक्षिणा भी दिया जाता है।
जरूर रखें इस बात का ध्यान-इस व्रत में पूरे दिन और पूरी रात मताएं निर्जला उपवास रखती हैं। जितिया व्रत महिलाओं को हर साल करना होता है।
इस व्रत को बीच में कभी छोड़ा नहीं जा सकता। मान्यताओं के अनुसार, जितिया व्रत के पारण में महिलाएं लाल रंग का धागा गले में पहनती हैं।
व्रती महिलाएं लॉकेट भी धारण कर सकती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा के दौरान सरसों का तेल और खाल चढ़ाया जाता है। व्रत पारण के बाद यह तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाया जाता है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।