मणिपुर के बाद अब नागालैंड में भी अशांति की खबरें हैं। लोग सरकार के नए नियमों को लेकर विरोध कर रहे हैं।
नागालैंड कैबिनेट द्वारा हाल ही में बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन 1873 (BRFR एक्ट) के तहत तीन जिलों – दीमापुर, चुमौकेदिमा और निउलैंड जिलों में दो अलग-अलग कट-ऑफ सालों के साथ इनर लाइन परमिट (ILP) व्यवस्था लागू करने के फैसले को लेकर स्थानीय निवासी नाराज हैं।
BRFR एक्ट जो 1873 से नागा हिल्स (वर्तमान नागालैंड) में लागू है, के तहत किसी भी भारतीय और विदेशी व्यक्ति को जो नागालैंड का मूल निवासी नहीं है, सीमित अवधि के लिए नागालैंड में आने के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित परमिट लेना जरूरी है।
नागालैंड के अलावा ILP व्यवस्था पूर्वोत्तर भारत के मणिपुर, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश में लागू है। नगालैंड के नए कैबिनेट फैसले में दीमापुर जिले के लिए निवासियों की तीन श्रेणियां निर्धारित की गई हैं जिनमें से पहली दो श्रेणियों के लिए ILP की जरूरत नहीं होगी।
पहली श्रेणी के लिए मानक उन व्यक्तियों के लिए है जो 1 दिसंबर, 1963 को नगालैंड राज्य के गठन से पहले दीमापुर में बस गए हैं।
राज्य सरकार उन नागरिकों को स्मार्ट कार्ड और स्थायी निवास प्रमाण पत्र (PRC) और डोमिसाइल प्रमाण पत्र (DC) प्राप्त करने का विकल्प प्रदान करेगी।
दूसरी श्रेणी उन व्यक्तियों से संबंधित है जो 1 दिसंबर, 1963 और 21 नवंबर, 1979 के बीच दीमापुर में बस गए थे, और उन्हें DC प्राप्त करने के विकल्प के साथ PRC प्रदान किया जाना है।
तीसरी श्रेणी में वे व्यक्ति शामिल होंगे जो 22 नवंबर 1979 को और उसके बाद दीमापुर में बस गए थे और उन्हें ILP की जरूरत होगी।
बांग्लादेश में हलचल के बाद ILP व्यवस्था लागू करने की मांग
नाम न बताने की शर्त पर एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि राज्य के छात्रों, शिक्षकों, तकनीकी कर्मियों और व्यापारियों जैसी कुछ श्रेणियों को अधिकतम पांच साल तक की लंबी अवधि के लिए ILP प्रदान किया जाएगा।
असम की सीमा से सटे और विभिन्न राज्यों की मिली-जुली आबादी वाले दीमापुर को 2019 तक ILP के दायरे से छूट दी गई थी।
नगा नागरिक समाज संगठनों और छात्र निकायों ने कई बार मांग की थी कि दीमापुर जिले में ILP व्यवस्था लागू की जाए क्योंकि उन्हें डर था कि अवैध अप्रवासियों की आने से लोकल समुदायों के लिए खतरा पैदा हो सकता है। हाल ही में बांग्लादेश में राजनीतिक हलचल के बाद ILP व्यवस्था को लागू करने की मांग ने जोर पकड़ लिया।
सरकार को 14 दिन का अल्टीमेटम
फरवरी में नागा छात्र संघ (NSF) ने मांग की थी कि राज्य सरकार अवैध अप्रवासियों की आने से रोकने के लिए तीन जिलों में व्यवस्था को फिर से लागू करे। NSF ने 5 सितंबर को राज्य सरकार को 14 दिन का अल्टीमेटम दिया, जिसमें दीमापुर, चुमौकेदिमा और निउलैंड जिलों में ILP व्यवस्था लागू करने की मांग की गई।
छात्र संगठन ने कहा, “इन उपायों को लागू नहीं किया गया तो यह लोगों की सुरक्षा में विफलता और सरकार के कर्तव्य से हटने के के रूप में देखा जाएगा।” दीमापुर में 20 से अधिक संगठनों के एक समूह अवैध अप्रवासियों की रोकथाम के लिए संयुक्त समिति (जेसीपीआई) ने कहा कि 1 दिसंबर, 1963 को नागालैंड राज्य के निर्माण के बाद से BEFR एक्ट पूरे राज्य को कवर करता है, और इस तरह एक्ट को दीमापुर को भी कवर करना चाहिए क्योंकि यह राज्य का हिस्सा है।
जेसीपीआई के मुताबिक स्थानीय नागरिकों की पहचान करने की एकमात्र कट-ऑफ तिथि वह तिथि होनी चाहिए जिस दिन राज्य का गठन हुआ था।