कब होगा परिवर्तिनी एकादशी व्रत का पारण, नोट करें टाइम व विधि…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

भगवान विष्णु को समर्पित परिवर्तिनी एकादशी का व्रत आज, शनिवार को रखा जाएगा। शुभ मुहूर्त में विष्णु भक्त आज पूरे विधि-विधान से व्रत का संकल्प लेकर उपासना करेंगे।

एकादशी तिथि का व्रत हर महीने में 2 बार रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

वहीं, परिवर्तिनी एकादशी की पूजा ही नहीं पारण का भी मुहूर्त देखा जाता है। आइए जानते परिवर्तिनी एकादशी के व्रत पारण का शुभ मुहूर्त व विधि-

एकादशी तिथि कब से कब तक-दृक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि सितम्बर 13, 2024 को रात 10 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी।

तिथि की समाप्ति सितम्बर 14, 2024 को 08 बजकर 41 मिनट पर होगी। व्रत का पारण अगले दिन, रविवार को किया जाएगा। 

परिवर्तिनी एकादशी व्रत पारण का शुभ मुहूर्त-भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि का व्रत पारण 15 सितम्बर को किया जाएगा। इस दिन पारण (व्रत तोड़ने का) शुभ समय सुबह 06:06 मिनट से 08:34 मिनट तक रहेगा। पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय शाम 06 बजकर 12 मिनट रहेगा। 

परिवर्तिनी एकादशी का व्रत पारण कैसे करें?

स्नान आदि कर साफ वस्त्र धारण करें

भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें

प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें

अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें

मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें

पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें

प्रभु को तुलसी सहित भोग लगाएं

अंत में व्रत संकल्प पूर्ण करने व क्षमा प्रार्थना करें

व्रत पारण के समय ध्यान रखें ये बातें-

दृक पंचांग के अनुसार, एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्य के उदय होने के बाद पारण किया जाता है।

एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है। अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही किया जाता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना शुभ नहीं माना जाता है।

एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो विष्णु भक्त व्रत कर रहे हैं, उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने का इंतजार करना चाहिये।

हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि मानी जाती है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे शुभ समय प्रातः काल का होता है। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातः काल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियां मान्यताओं पर आधारित हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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