प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
शुक्र गोचर से कन्या राशि में एक प्रभावशाली घटना हुई है।
शुक्र ने सिंह राशि से निकलकर 25 अगस्त को देर रात 01 बजकर 24 मिनट पर कन्या राशि में प्रवेश किया था। कन्या राशि में मायावी ग्रह केतु पहले से विराजमान था।
इस तरह से शुक्र-केतु की युति कन्या राशि में बन रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कोई ग्रह राशि परिवर्तन करता है तो देश-दुनिया के साथ मानव जीवन को भी प्रभावित करता है।
ऐसे में लोगों के मन में सवाल है कि आखिर केतु-शुक्र की युति जनमानस के लिए शुभ है या अशुभ? जानें ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र उपाध्याय की राय-
पंडित नरेंद्र उपाध्याय के अनुसार, शुक्र-केतु की युति जनमानस के लिए अच्छी नहीं है। शुभ-अशुभ ग्रहों की यह युति लोगों को सकारात्मक परिणाम कम प्रदान करेगी।
इन दो ग्रहों के एक साथ होने से वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती है। मानसिक परेशानी का कारण बनती है। शुगर लेवल बढ़ने की समस्या हो सकती है।
आपसी रिश्तों में टकराव होता है। यह युति रिश्तों में भ्रम पैदा करती है। शुक्र-केतु की युति शादी-ब्याह में मुश्किलें या देरी ला सकती है।
शुक्र-केतु की युति का अंत कब होगा- शुक्र कन्या राशि में 18 सितंबर की दोपहर तक रहेंगे। इसके बाद तुला राशि में दोपहर 02 बजकर 04 मिनट पर प्रवेश कर जाएंगे। इस तरह से कन्या राशि में बनने वाली शुक्र-केतु युति का अंत होगा।
केतु गोचर कब होगा- केतु 2024 में पूरे साल कन्या राशि में संचरण करेंगे। इसके बाद केतु 18 मई 2025 को कन्या राशि से निकलकर सिंह राशि में गोचर करेंगे।
केतु के सिंह राशि में जाने से सभी 12 राशियों पर प्रभाव देखने को मिलेगा, लेकिन सिंह राशि के जातक सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि केतु का गोचर इसी राशि में होगा।