चीन ने बना दी भविष्य की महामारियों से निपटने वाली वैक्सीन…

कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचाई थी और लाखों लोगों की जान ली।

पूरी दुनिया को लंबे समय तक लॉकडाउन रहा। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या दुनिया किसी अगली महामारी के लिए तैयार है? ये सवाल तब और अहम हो जाता है जब कोरोना के नए-नए वैरिएंट्स सामने आ रहे हैं।

वुहान इंस्‍टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के शोधकर्ताओं ने एक नई नैनोवैक्‍सीन तैयार की है, जो सभी प्रमुख कोविड-19 वेरिएंट्स के खिलाफ व्यापक सुरक्षा का दावा करती है और भविष्य में आने वाले कोरोनावायरस के नए वैरिएंट्स से भी बचाव कर सकती है।

वुहान इंस्‍टीट्यूट की टीम को कभी कोविड-19 महामारी पैदा करने के लिए दोषी ठहराया गया था। कहा जाता है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान स्थित इसी लैब से निकला था।

अब इस लैब ने दावा किया है कि उसकी मौजूदा वैक्‍सीन कोविड-19 संक्रमण को रोकने और मृत्यु दर को कम करने में तो सक्षम हैं, लेकिन ये सभी वेरिएंट्स के खिलाफ पूर्ण सुरक्षा प्रदान नहीं कर पातीं।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्‍ट की रिपोर्ट के अनुसार, इस नई नैनोवैक्‍सीन को विकसित करने वाली टीम ने एक इंट्रानेजल नैनोपार्टिकल वैक्‍सीन बनाई है, जो कोरोनावायरस के एपिटोप्स और ब्लड प्रोटीन फेरिटिन को संयोजित करती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह वैक्‍सीन डेल्टा, ओमिक्रॉन और वुहान में 2020 में पहचाने गए डब्ल्यूआईवी04 वेरिएंट जैसे कई वेरिएंट्स के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने का वादा करती है। शोधकर्ताओं ने जून में एसीएस नैनो नामक एक पेयर-रिव्यू जर्नल में प्रकाशित एक लेख में लिखा, “सार्स-सीओवी-2 वेरिएंट्स और म्यूटेशंस के कारण चल रही और भविष्य की महामारियां प्रभावी वैक्‍सीन की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं, जो व्यापक सुरक्षा प्रदान कर सकें।” उन्होंने कहा, “हमारी नैनोवैक्‍सीन प्री-एग्जिस्टिंग न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडीज के संरक्षित एपिटोप्स को टारगेट करती है। यह एक व्यापक सुरक्षा प्रदान करने वाली सार्स-सीओवी-2 वैक्‍सीन के रूप में एक संभावित वैक्सीन हो सकती है।”

बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन और वैश्विक वैज्ञानिकों ने कोविड-19 की उत्पत्ति की जांच की है, जिसमें ज्यादातर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि यह वायरस जानवरों से मनुष्यों में फैल सकता है।

वहीं, पिछले साल अमेरिकी खुफिया विभाग के प्रमुख ने कहा था कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कोविड-19 वायरस चीनी सरकार के वुहान रिसर्च लैब में बनाया गया था।

इस सदी में कोविड-19 और 2003 में हुए गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) के अलावा, मिडिल ईस्‍ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) भी एक कोरोनावायरस जनित बीमारी है, जिसने 2012 से हजारों लोगों को संक्रमित किया है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोनावायरस के निरंतर म्यूटेशन से नए वेरिएंट्स पैदा होते रहेंगे, जिनमें से कुछ अत्यधिक संक्रामक हो सकते हैं और भविष्य में महामारी या वैश्विक संकट का कारण बन सकते हैं।

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