अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में राहुल गांधी ने कहा कि वह पीएम नरेंद्र मोदी से कई बार सहानुभूति रखते हैं।
उन्होंने कहा, ‘आप लोग हैरान होंगे, लेकिन मैं असल में मिस्टर मोदी से कोई नफरत नहीं करता। मैं सुबह उठता हूं और सोचता हूं कि उनका किसी बात को लेकर एक मत है। मेरा विचार कुछ अलग हैं।
मैं उनकी बात से सहमत नहीं होता, लेकिन उनसे कोई नफरत नहीं होती। राहुल गांधी बनाम नरेद्र मोदी जैसे मुकाबले की मैं कोई वजह नहीं देखता। मैं उन्हें अपना दुश्मन नहीं मानता। कई बार मैं उनसे सहानुभूति भी रखता हूं।’
राहुल गांधी ने कहा कि मैं कन्याकुमारी से कश्मीर तक चला। आधे रास्ते तक तो मेरे मन में यह सवा था कि 2004 से मैं राजनीति में हूं। लेकिन मैंने कभी एक नेता के तौर पर प्यार शब्द का इस्तेमाल क्यों नहीं किया।
हम राजनीति में गुस्से और नफरत का प्रयोग करते हैं, लेकिन इससे बेहतर चीज प्यार है। मैंने सोचा कि राजनीति में इसका प्रयोग करते हैं।
आप समझ सकते हैं कि यह कितनी प्रभावशाली और ताकतवर चीज है। प्यार ऐसी चीज है, जो हर कोई महसूस करता है। सभी अपने परिवार, देश से प्यार करते हैं। इसलिए राजनीति में यह क्यों नहीं हो सकता। मैं नहीं समझता कि सेक्युलरिज्म की परिभाषा पर दोबारा विचार करने की जरूरत है।
इसकी बजाय देश में महात्मा गांधी की भी एक विचारधारा रही है। यह विचारधारा कहती है कि हम गुस्सा, नफरत और हिंसा को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।