धरती पर तो भूकंप आते ही हैं, चंद्रमा पर भी भूकंप के झटके लगे हैं।
चंद्रयान-3 ने इसकी जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबुक, उल्कापिंड या गर्मी से संबंधित प्रभाव के कारण ये झटके लगे हैं।
इसरो ने चंद्रयान-3 के भूकंप-संकेतक उपकरण से प्राप्त आंकड़ों का प्रारंभिक विश्लेषण किया है, जिसमें यह जानकारी सामने आई है।
पत्रिका ‘इकारस में प्रकाशित शोधपत्र में चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (इल्सा) द्वारा दर्ज किए गए 190 घंटों के आंकड़ों के अवलोकन का सारांश है।
इल्सा उन पांच प्रमुख वैज्ञानिक उपकरणों में से एक है, जिन्हें चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर अपने साथ लेकर गए थे। शोधार्थियों ने कहा, डाटा से अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए विस्तृत अध्ययन की जरूरत है।
इलसा ने 190 घंटों का डाटा उपलब्ध कराया
इसरो ने बताया, भूकंप का पता लगाने वाले इल्सा को 2 सितंबर, 2023 तक लगातार संचालित किया गया, जिसके बाद इसे बंद कर दिया गया और वापस पैक कर दिया गया।
इसके बाद लैंडर को प्रारंभिक बिंदु से लगभग 50 सेंटीमीटर दूर एक नए बिंदु पर स्थानांतरित कर दिया गया। इल्सा ने चंद्र सतह पर लगभग 218 घंटे काम किया, जिसमें 190 घंटों का डाटा उपलब्ध है।
250 से अधिक संकेतों की पहचान
अध्ययन के लेखकों ने लिखा, हमने 250 से अधिक विशिष्ट संकेतों की पहचान की है, जिनमें से लगभग 200 संकेत रोवर की भौतिक गतिविधियों या वैज्ञानिक उपकरणों के संचालन से जुड़ी ज्ञात गतिविधियों से संबंधित हैं।
लेखकों ने लैंडर या रोवर की गतिविधियों से नहीं जोड़े जा सके 50 संकेतों को ‘असंबद्ध घटनाएं माना।
इल्सा द्वारा दर्ज किए गए असंबद्ध संकेत उपकरण की निकटवर्ती सीमा पर सूक्ष्म उल्कापिंडों के प्रभाव, मिट्टी पर स्थानीय तापीय प्रभाव, या लैंडर उप-प्रणालियों के भीतर तापीय समायोजन के कारण हो सकते हैं।