प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
गणेश चतुर्था का पावन पर्व 7 सितंबर 2024 को बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जा रहा है।
10 दिनों तक चलने वाले गणेश महोत्सव की शुरुआत भी हो गई है। गणेश चतुर्थी से 10 दिनों तक विधि- विधान से भगवान गणेश की पूजा- अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
भगवान गणेश अपने भक्तों से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान गणेश को एकदंत, गजानन नाम से भी जाता है। आइए जानते हैं, आखिर श्रीगणेश को एकदंत और गजानन नाम से भी क्यों जाना जाता है…
भगवान श्रीगणेश कैसे कहलाएं गजानन-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार नंदी से माता पार्वती की किसी आज्ञा के पालन में ऋुटि हो गई। जिसके बाद माता ने सोचा कोई तो ऐसा हो जो केवल उनकी आज्ञा का पालन करें। तब मां पार्वती ने अपने उबटन से एक बालक की आकृति बनाकर उसमें प्राण डाल दिए।
इसके बाद माता पार्वती स्नान के लिए गईं और उन्होंने बालक को बाहर पहरा देने के लिए कहा। माता पार्वती ने बालक को आदेश दिया था कि उनकी इजाजत के बिना किसी को अंदर नहीं आने दिया जाए।
जब भगवान शिव के गण आए तो बालक ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। इसके बाद स्वयं भगवान शिव आए तो बालक ने उन्हें भी अंदर नहीं जाने दिया। जब बालक ने उन्हें अंदर जाने नहीं दिया तो भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया।
ये सब देखकर माता पार्वती क्रोधित हुईं और उन्होंने उनके बालक को जीवित करने के लिए कहा। तब भगवान शिव ने एक हाथी का सिर बालक के धड़ से जोड़ दिया। तब से भगवान गणेश को गजानन भी कहा जाने लगा।
परशुराम ने तोड़ दिया था गणेशजी का एक दांत-
भगवान शंकर और माता पार्वती अपने कक्ष में विश्राम कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसी को भी न आने दें। तभी भगवान शिव से मिलने के लिए परशुराम जी आए।
लेकिन गणेश जी से भगवान शिव से मिलने से इनकार कर दिया। इस पर परशुराम जी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने फरसे से गणेश जी का एक दांत तोड़ दिया। तभी से भगवान गणेश एकदंत कहलाए।