भारत से दक्षिण-पूर्व में करीब 8000 किलोमीटर की दूरी पर एक द्वीप स्थित है।
उसका नाम है बोर्नियो। इस बोर्नियो द्वीप पर तीन देश अवस्थित हैं- मलेशिया, इंडोनेशिया और ब्रुनेई। ब्रुनेई सबसे छोटा इस्लामिक देश है, जहां की आबादी करीब साढ़े चार लाख है।
यह मात्र 5770 वर्ग किलोमीटर भू भाग पर फैला है और इसकी करीब दो तिहाई आबादी मुस्लिम है। यहां मलय भाषा बोली जाती है।
यहां सुल्तान हसनल बोल्किया का शासन चलता है। उन्हीं के निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन और चार सितंबर को ब्रुनेई के दौरे पर थे।
ब्रुनेई में प्रधानमंत्री मोदी का भव्य स्वागत किया गया। दौरे के दौरान तीन सितंबर को पीएम मोदी ने ऐतिहासिक अली सैफ़ुद्दीन मस्जिद का भी दौरा किया।
मुस्लिम देशों में इस मस्जिद का अलग महत्व है। इस मस्जिद का निर्माण 1958 में पूरा हुआ था। पीएम मोदी के इस दौरे की दुनिया भर में बड़ी चर्चा है।
पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी इस बात पर चर्चा का बाजार गर्म है कि पीएम मोदी आखिर मुस्लिम देशों का दौरा क्यों कर रहे हैं और वह मस्जिदों में क्यों जा रहे हैं।
पाकिस्तानी स्कॉलर्स और विशेषज्ञों को इस बात पर भी हैरानी है कि आखिर पीएम मोदी लगातार मुस्लिम देशों से संबंध क्यों सुधार रहे हैं, जबकि पाकिस्तान अपने अंदरूनी उलझनों में ही अब तक उलझा हुआ है।
पाकिस्तानी स्कॉलर कमर चीमा ने पीएम मोदी के इस दौरे और दुनिया भर के देशों के बीच भारत की बढ़ती साख और ताकत पर अमेरिका में बसे पाकिस्तानी मूल के राजनेता साजिद तरार से बातचीत की है।
इस बातचीत की शुरुआत में कमर चीमा ने साजिद तरार से पूछा है और आश्चर्य जताया है कि पीएम मोदी ने मुस्लिम देशों का दौरा बड़ी तेजी से बढ़ा दिया है।
उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि ब्रुनेई के अंदर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का भी स्टेशन मौजूद है। चीमा ने इस बात पर भी ताज्जुब जताया कि पाकिस्तान मुस्लिम देशों से बी रिश्ता बनाने में अपने पड़ोसी देशों से पीछे कैसे हो गया। इसके जवाब में साजिद तरार ने बताया कि भारत ब्रुनेई से तेल भी खरीदता है और दक्षिणी चीन सागर में बड़ा रक्षा सहयोगी है।
उन्होंने कहा कि भारत ब्रुनेई की मदद से चीन की काट भी तैयार कर रहा है। तरार ने कहा कि अमेरिका ने पूरी दुनिया में जो वैक्यूम तैयार किया है, उसका फायदा भारत तेजी से उठा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत ने ब्रुनेई के अलावा सिंगापुर से भी चार MoU पर दस्तखत किए हैं। इनमें सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर से जुड़ा समझौता है।