प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
हिंदू धर्म में संतान सप्तमी व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत माताएं अपने बच्चों की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य व खुशहाली के लिए करती हैं।
यह व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को किया जाता है। इस व्रत में भगवान शिव, माता पार्वती व श्रीगणेश के पूजन का विधान है।
संतान सप्तमी को ललिता सप्तमी के नाम से भी जानते हैं। जानें सितंबर में कब है संतान सप्तमी या ललिता सप्तमी-
संतान सप्तमी कब है- हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की सप्तमी तिथि 09 सितंबर को रात 09 बजकर 53 मिनट पर प्रारंभ होगी और 10 सितंबर को रात 11 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। संतान सप्तमी 10 सितंबर 2024, मंगलवार को मनाई जाएगी।
संतान सप्तमी का महत्व- संतान सप्तमी का व्रत संतान व उसकी मंगलकामना के लिए रखा जाता है। यह व्रत संतान प्राप्ति की कामना करने वालो के लिए भी लाभकारी माना गया है।
संतान सप्तमी पूजन मुहूर्त- द्रिक पंचांग के अनुसार, संतान सप्तमी या ललिता सप्तमी के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:52 बजे से दोपहर 12:42 बजे तक रहेगा।
संतान सप्तमी पूजा विधि-
1. सबसे पहले स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान शिव, माता पार्वती व भगवान गणेश की प्रतिमा लगाएं।
2. अब कलश को नारियल के पत्तों के साथ स्थापित करें।
3. गाय के घी का दीपक जलाएं।
4. अब देवी-देवताओं को हल्दी, चंदन, कुमकुम, फूल, अक्षत, भोग, कलावा व पुष्प आदि अर्पित करें।
5. संतान की रक्षा व खुशहाली की कामना करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती व गणेश जी की पूजा करें।
6. पूजन के बाद संतान सप्तमी व्रत कथा को पढ़ना व सुनना अत्यंत शुभ माना गया है।