Netflix पर रिलीज हुई वेब सीरीज IC 814: द कांधार हाईजैक ने साल 1999 की घटना को फिर से ताजा कर दिया है।
इसी बीच पाकिस्तान में भारत के एक पूर्व उच्चायुक्त ने चौंकाने वाला दावा किया है। उन्होंने कहा है कि इस घटना में पूरी तरह से पाकिस्तान शामिल था।
इससे पहले वेब सीरीज में आतंकवादियों के हिंदू नाम रखने के चलते भी खासा विवाद हुआ था। नेटफ्लिक्स के अधिकारी को सरकार ने तलब भी किया था।
साल 1999 में पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे गोपालस्वामी पार्थसार्थी ने इंडिया टुडे से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने घटना में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के शामिल होने का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘इसमें पूरी तरह से पाकिस्तान शआमिल था। इसके आतंकवादी पाकिस्तानी थी और जिन आतंकवादियों को रिहा किया गया, वे भी पाकिस्तानी थे। इसमें अल-कायदा के होने का सवाल ही नहीं उठता।’
उन्होंने आगे कहा, ‘सच तो यह है कि अल-कायदा के पाकिस्तान के साथ इतने अच्छे संबंध नहीं थे कि वो हाईजैक को अंजाम दे सके।’
उन्होंने कहा कि हो सकता है कि तब कुछ लोग अफगानिस्तान से ऑपरेट कर रहे हों। उन्होंने इस घटना को लेकर पाकिस्तान सरकार के जवाब का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा ‘हमें कहते रहे कि वे सही का करेंगे और ऐसा नहीं किया। हाईजैक के कुछ दिन बाद मैं अपने अधिकारी को कंधार भेजना चाहता था, लेकिन पाकिस्तान सरकार खेल खेलती रही।’
उन्होंने साफ किया, ‘ISI के बहुत करीबी संबंध थे, उन लोगों ने पूरे हाईजैकिंग को सहयोग किया।’ खास बात है कि ISI को कथित तौर पर क्लीन चिट देने और आतंकवादियों के तार अफगानिस्तान और अल-कायदा से जोड़ने के चलते भी सीरीज की आलोचना हो रही है।
काठमांडू से दिल्ली आ रही फ्लाइट को अंत में कंधार लैंड कराने से पहले कई स्थानों पर ले जाया गया था। इनमें अमृतसर, लाहौर और दुबई शामिल थे। पार्थसार्थी ने चैनल से बातचीत में कहा, ‘हाईजैक प्लेन के आने के बाद मैं वहां (लाहौर) जाने के लिए तैयार था…।
उन्होंने इस्लामाबाद से लाहौर का मेरा प्लेन लेट किया। मुझे हेलिकॉप्टर दिया गया और जब हेलिकॉप्टर लाहौर के आधे रास्ते पर था, तब उन्होंने मुझे बताया कि विमान टेक ऑफ कर गया है।’