कनाडा में खालिस्तानी गतिविधियों में हिस्सा लेने वाले लोगों में भारत से गए युवाओं की संख्या में इजाफा दिख रहा है।
भारतीय अधिकारियों ने इसे लेकर चिंता जताई है। उन्हें संदेह है कि ऐसे लोग बड़ी संख्या में खालिस्तानियों के कनाडा में होने वाले प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं, जो वहां बसना चाहते हैं।
इन लोगों को लगता है कि खालिस्तान की मांग वाले प्रदर्शनों में शामिल होकर वे वहां की सरकार के समक्ष माहौल बना लेंगे। कई युवा तो ऐसे भी हैं, जो इन आंदोलनों में शामिल होकर सेल्फी भी लेते हैं।
माना जा रहा है कि इन लोगों के प्रदर्शनों में हिस्सा लेने की संख्या इसलिए बढ़ी है क्योंकि कनाडा सरकार ने प्रवासियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए कुछ ऐलान किए हैं।
अब तक अधिकारियों को जानकारी मिली है कि करीब आधा दर्जन ऐसी इमिग्रेशन फर्म्स हैं, जो लोगों को सलाह दे रही हैं कि यदि वे कनाडा में रहना चाहते हैं तो खालिस्तान से जुड़े आंदोलनों में हिस्सा लें।
इससे कनाडा की सरकार से नागरिकता के लिए दावा करने में मदद मिलेगी। एक अधिकारी ने बताया, ‘कुछ युवाओं को तस्वीरें लेते हुए देखा गया है।
इनमें से ज्यादातर शायद नागरिकता के लिए अप्लाई करना चाहते हैं। यह एक रैकेट का हिस्सा है।’ इस साल खालिस्तान समर्थकों ने कई प्रदर्शन किए हैं। इन लोगों ने कई बार भारतीय कौंसुलेट्स को घेरा और राजनयिकों के साथ भी बदसलूकी करने की कोशिश की गई।
यही नहीं बीते शनिवार को भी खालिस्तानियों ने एक प्रदर्शन किया था। इस दौरान दिलावर बब्बर नाम के उस खालिस्तानी के पोस्टर लहराए गए, जो एक आत्मघाती हमलावार था।
उसने पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की 29 साल पहले हत्या कर दी थी। यही नहीं ऑपरेशन ब्लूस्टार की बरसी पर इंदिरा गांधी की हत्या के चित्रण वाली तस्वीरें भी लहराई गई थीं।
हालांकि अब तक यह प्रमाण नहीं मिले हैं कि इन रैलियों को आयोजित करने वालों ने ही वहां अस्थायी तौर पर बसे युवाओं को आमंत्रित किया था।
हालांकि नई दिल्ली में इस बात का संदेह जताया जा रहा है। इसकी वजह यह भी है कि इस साल कनाडा के लिए अप्लाई करने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।
डेटा के मुताबिक इस साल जनवरी से लेकर जून तक 16800 लोगों ने कनाडा में रहने के लिए आवेदन किया था। यह 2023 में पूरे साल किए गए आवेदनों से भी अधिक है। इस तरह माना जा रहा है कि इस साल यह आंकड़ा कम से 25000 तक पहुंच सकता है।
माना जाता है कि कनाडा में पीएम जस्टिन ट्रूडो की सत्ता आने के बाद आवेदन करने वाले भारतीयों की संख्या में ज्यादा इजाफा हुआ है। 2015 में तो यह आंकड़ा महज 380 का ही था।