प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
साल में 1 बार हरतालिका तीज का व्रत सुहागिनें रखती हैं।
हरतालिका तीज का व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होता है। यह व्रत हर साल भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रखा जाता है।
इस साल शुक्रवार के दिन हरतालिका तीज पड़ रहा है। मान्यता है भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने यह व्रत किया था। आइए ज्योतिषाचार्य से जानतें हैं हरतालिका तीज की सही डेट व पूजन की विधि-
कब है हरतालिका तीज?
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के कारण इस बार 6 सितम्बर शुक्रवार को हरितालिका तीज का यह पवित्र व्रत महिलाएं रखेंगीं।
हरितालिका तीज का व्रत सुहागिनों के साथ-साथ कुंवारी कन्याओं द्वारा भी रखा जाता है। दृक पंचांग के अनुसार, इस बार तीज का पर्व अत्यंत ही शुभ संयोग में मनाया जाएगा।
महिलाएं अपने सुहाग की लम्बी आयु की कामना के लिए हरितालिका तीज व्रत करती हैं। इसमें महिलाएं अन्न व जल ग्रहण लिए बिना यह व्रत रखती हैं।
पुराणों के अनुसार, इस व्रत को देवी पार्वती ने शिव जी को वर के रूप में पाने किया था। इस दिन पूजा-अर्चना के साथ मां पार्वती की कथा भी सुनी जाती हैं।
इस दिन शिव-पार्वती के साथ गणेश जी की पूजा-अर्चना भी करनी चाहिए। मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन महिलाएं तीज के दिन 16 श्रृंगार कर भगवान शिव और पार्वती माता की विधिवत आराधना करती हैं।
हरतालिका तीज पूजन विधि
तीज के दिन सुबह उठकर स्नान करें। चौकी व कलश स्थापित करें। भगवान शिव के साथ माता पार्वती गणेश, नंदी सहित सपरिवार की प्रतिमा स्थापित करें।
शिवलिंग पर गंगाजल, बेल पत्र, दूध, धतूरा, भांग, मलयागिरि चंदन, व अक्षत चढ़ाएं। प्रभु को चंदन का तिलक लगाएं, फूलों की माला अर्पित करें। हरितालिका व्रत की कथा सुनें।
धूप, दीप से शिव परिवार की आरती करें। पूजा को संपन्न करने के लिए इच्छा अनुसार भोग लगाएं। अंत में क्षमा मांगे। फिर परिवारजनों को प्रसाद बांटे और खुद भी ग्रहण करें।