प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में कई नीतियों का वर्णन किया है।
उनकी नीतियां आज भी प्रासंगिक हैं। चाणक्य ने नीति शास्त्र में जीवन के तमाम पहलुओं का गहराई से वर्णन किया है।
कहा जाता है कि आचार्य चाणक्य की नीतियों का पालन करना मुश्किल है लेकिन जिस व्यक्ति से इन्हें अपना लिया उसे सफलता हासिल होती है।
नीति शास्त्र के एक श्लोक में चाणक्य ने बताया है कि कौन-सी बातें व्यक्ति के मृत्यु समान होती हैं। आप भी पढ़ें चाणक्य नीति-
नीति शास्त्र में वर्णित एक श्लोक-
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायकः।
ससर्पे गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः॥
श्लोक का अर्थ– आचार्य चाणक्य नीति शास्त्र के प्रथम अध्याय के पांचवें श्लोक में कहते हैं कि दुष्ट स्वभाव वाली, कठोर वचन बोलने वाली, दुराचारिणी स्त्री और धूर्त, दुष्ट स्वभाव वाला मित्र, सामने बोलने वाला मुंहफट नौकर और ऐसे घर में निवास जहां सांप के होने की संभावना हो, ये सब बातें मृत्यु के समान हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार, जिस घर में दुष्ट स्त्रियां होती हैं, वहां गृहस्वामी की स्थिति किसी मृतक के समान होती है, क्योंकि उसका कोई वश नहीं चलता और भीतर ही भीतर कुढ़ते हुए वह मृत्यु की ओर सरकता रहता है।
इसी प्रकार दुष्ट स्वभाव वाला मित्र भी विश्वास के योग्य नहीं होता, न जाने कब धोखा दे दे। जो नौकर अथवा आपके अधीन काम करने वाले कर्मचारी उलटकर आपके सामने जवाब देता है, वह कभी भी आपको असहनीय हानि पहुंचा सकता है, ऐसे सेवक के साथ रहना अविश्वास के घूंट पीने के समान है।
इसी प्रकार जहां सांपों का वास हो, वहां रहना भी खतरनाक है। न जाने कब सर्पदंश का शिकार होना पड़ जाए।