हमास के खिलाफ महायुद्ध में उलझे बेंजामिन नेतन्याहू के लिए अपने ही मुल्क में मुश्किल खड़ी हो गई है।
आम जनता पहले ही बंधकों की रिहाई को लेकर प्रदर्शन कर रही थी। इस बीच देश के सबसे बड़े व्यापार संघ ने गाजा में छह बंधकों की लाश मिलने के बाद इजरायली हुकूमत के खिलाफ हड़ताल का ऐलान किया।
यह संगठन हिस्ताद्रुत देश के करीब 8 लाख कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें स्वास्थ्य, परिवहन और बैंकिंग जैसे कई सेक्टर शामिल हैं।
11 महीने के युद्ध में यह पहली बार होगा, जब इतना जनसैलाब नेतन्याहू के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है।
इजरायल के सबसे बड़े व्यापार संघ हिस्ताद्रुत का सोमवार से हड़ताल का मकसद संघर्षविराम के लिए दबाव बढ़ाना है ताकि गाजा में युद्धविराम से हमास आतंकी बाकी बचे बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करें और सभी सकुशल अपने घर लौट आएं।
हिस्ताद्रुत ने कहा कि शनिवार को गाजा की सुरंगों में मिली बंधकों की लाशों से पता लगता है कि अगर अब इजरायली सरकार ने य़ुद्धविराम के लिए हामी नहीं भरी तो बहुत देर हो जाएगी और हमारे लोग इस तरह मरते रहेंगे।
बता दें कि सात अक्टूबर को शुरू हुए इजरायल-हमास युद्ध के बाद से यह पहली इतनी बड़ी हड़ताल होगी।
पिछले साल भी कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर आम हड़ताल की थी, जिसके बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को न्यायिक सुधारों की अपनी विवादित योजना टालनी पड़ी थी।
गाजा में बंधकों की लाश मिलने से शोकाकुल परिजन
गाजा में छह और बंधकों के मृत पाए जाने के बाद हजारों की संख्या में शोकाकुल और नाराज इजरायली रविवार रात सड़कों पर उतर आए और नारे लगाने लगे। प्रदर्शन के दौरान कई लोग रोते हुए भी नजर आए।
उन्होंने नेतन्याहू को संदेश में कहा कि “अभी! अभी! वरना…” उन्होंने मांग की कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू शेष बंधकों को वापस घर लाने के लिए हमास के साथ संघर्ष विराम करें।